बिहार के उम्मीदों के पूरा होने का वर्ष 2022, प्रधानमंत्री के संकल्प से सिद्ध हो रही परियोजनाएं
बेगूसराय, 31 दिसंबर (हि.स.)। नए साल का नया बिहान हो चुका है, उम्मीदों की नई पंखुड़ियां सुगंधित हो चुकी है। ऐसे में बिहार की औद्योगिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक राजधानी बेगूसराय के लोगों की उम्मीदों को पंख लगने की संभावना है। नए साल में एक ओर बेगूसराय को कई बड़ा तोहफा मिल रहा है तो दूसरी ओर कई बड़े परियोजनाओं की शुरुआत भी होनी है। प्रधानमंत्री के संकल्प से सिद्धि अभियान के तहत बेगूसराय को नए साल 2022 में कई तोहफा मिलने जा रहा है। इससे ना सिर्फ बेगूसराय और आसपास के जिला, बल्कि पूरे बिहार, आसपास और पड़ोसी देश को भी बड़ा फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से सिद्धि अभियान के तहत सबसे बड़ा तोहफा है बिहार का एकलौता खाद कारखाना बरौनी।
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा करीब आठ हजार करोड़ की लागत से बरौनी खाद कारखाना का पुनर्निर्माण कराया जा रहा है। कारखाना का 95 से अधिक कार्य पूरा हो चुका है, संभावना है कि अप्रैल से यहां व्यवसायिक उत्पादन शुरू हो जाए। पीडीआईएल की देखरेख में निर्माणाधीन बरौनी हर्ल खाद कारखाना से प्रतिदिन 22 सौ मीट्रिक टन अमोनिया तथा 3850 मीट्रिक टन नीमकोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। हर्ल, आईओसीएल, एनटीपीसी, कोल इंडिया तथा एचएफसीएल के संयुक्त उपक्रम बिहार के इकलौते खाद कारखाना से ना केवल बिहार और आसपास के पड़ोसी राज्य, बल्कि पूर्वोत्तर के राज्यों की खाद जरूरतें भी पूरी होगी। दूसरा बड़ा तोहफा है इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के बरौनी रिफाइनरी में इंडजेट परियोजना। बिहार के इकलौते तेल शोधक बरौनी रिफाइनरी से 2022 से एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
मेक इन इंडिया को स्वदेशी शोधन तकनीक से एटीएफ हाइड्रो इंडजेट यूनिट के कमिशनिंग का कार्य काफी तेजी से चल रहा है। संभावना है कि ट्रायल के बाद अप्रैल से बरौनी रिफाइनरी एटीएफ की आपूर्ति शुरू कर दे। इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो केन्द्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करती है। यह यूनिट नागरिक एवं सैन्य, दोनों विमानन ईंधन की आवश्यकता को पूरा करेगा तथा 250 किलो टन (केटीपीए) एटीएफ प्रतिवर्ष के उत्पादन की योजना है। अभी बिहार के हवाई अड्डा पर दूसरे राज्यों से हवाई ईंधन की आपूर्ति होती है। बरौनी रिफाइनरी में उत्पादन शुरू हो जाने के बाद बिहार के पटना, गया और दरभंगा एयरपोर्ट पर बरौनी से ही हवाई ईंधन आपूर्ति किया जाएगा। तीसरी बड़ी परियोजना है बेगूसराय-खगड़िया फोरलेन। बेगूसराय से खगड़िया तक करीब 60 किलोमीटर लंबे फोरलेन का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। संभावना है कि जनवरी के अंतिम तक फोरलेन बनकर तैयार हो जाएगा। चौथी बड़ी परियोजना है 2002 में अटल बिहारी वाजपेेयी द्वारा गंगा नदी पर शिलान्यास किया गया श्रीकृष्ण सेेतु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से इस पुल पर ट्रेन का परिचालन पहले से शुरू है तथा सड़क निर्माण का कारण करीब-करीब पूरा हो चुका हैै, जनवरी में इसका उद्घाटन कर दिया जाएगा। इस पुल के बनने से बिहार का मिथिलांचल और सीमांचल दक्षिणी राज्यों से डायरेक्ट जुड़ जाएगा।
बेगूसराय में औद्योगिक विकास के लिए एक और बड़ी परियोजना बिहार सरकार के प्रयास से चल रही है। जिला के असुरारी में पेप्सी का प्लांट लग रहा है, यह प्लांट भी मार्च-अप्रैल तक शुरू हो जाने की संभावना है। पेप्सी के इस प्लांट के शुरू होने से जहां अन्य निवेशक भी आएंगे, वहीं दो हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। अगर बात करें नई परियोजनाओं की शुरुआत की तो राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा के प्रयास से बेगूसराय में मटिहानी और शाम्हो के बीच गंगा नदी पर पुल निर्माण की प्रक्रिया के तहत डीपीआर बन रहा है। फाइनेंसियल कार्य पूरा हो चुका है, उम्मीद जताई जा रही है कि 2022 वर्ष में पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा। 2022 में बेगूसराय में मेडिकल कॉलेज का निर्माण और आयुर्वेदिक कॉलेज के विस्तारीकरण कार्य के भी शुरू हो जाने की पूरी संभावना है। उम्मीद जताई जा रही है कि लंबे समय से लंबित पड़े बरौनी-हसनपुर रेलवे लाइन के लिए भी इस साल के बजट में मंत्रालय प्रावधान कर दे।