बंटवारे के बाद पाक गये मुसलमानों की एक लाख करोड़ की ‘शत्रु सम्पत्ति’ को बेचने की तैयारी

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नई दिल्ली, 25 फरवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद बदली राजनीतिक परिस्थिति और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र की भाजपानीत सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने और उसका चुनावी लाभ लेने के लिए लगभग 1 लाख 4000 करोड़ रुपए की “शत्रु अचल संपत्ति” तथा 3500 करोड़ रुपये के लगभग शत्रु शेयर को बेचने की तैयारी कर रही है। शत्रु सम्पत्ति एक्ट 1968 के खंड 8-ए के उपखंड 7 के अनुसार “निवेश और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग” “शत्रु सम्पत्ति” को बेच सकती है। केन्द्र सरकार के सूत्रों के अनुसार इसके लिए 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के लगभग 6 दिन बाद गृह व निवेश सचिव की एक समिति गठित की गई, जो मर्चेंट बैंकर व अन्य से विचार-विमर्श करके “शत्रु सम्पत्ति” की कीमत तय करेगी, जिसपर वित्तमंत्री की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह अंतिम मंजूरी देगा ।
सूत्रों का कहना है कि मार्च 2019 के पहले सप्ताह से तीसरे सप्ताह तक शत्रु शेयर व सम्पत्ति बेचने की कार्रवाई हो सकती है। यह शेयर और अचल संपत्ति उन मुस्लिम लोगों की है जो 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे | इसी तरह उन चीनी लोगों की भी संपत्ति है जो 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय या उसके बाद भारत छोड़कर चीन चले गए थे । इसमें से कुछ संपत्ति बांग्लादेशियों की भी है। बाद में इनमें से कुछ लोग वापस भी आ गए और रहने भी लगे । कुछ के बेटे–बेटियों ने अपनी यहां की सम्पत्ति किसी को बेच दी, लेकिन तबके बहुत से जमीदारों,धनी लोगों की कोठी , बंगले , शेयर मार्केट में खरीदे गये शेयर अभी भी हैं, जिन्हें उनके परिजनों ने बेचने या किसी तरह से लेने की कई बार कोशिशें की। सर्वोच्च न्यायालय के कई बड़े वकीलों के मार्फत मुकदमा भी किया । ये सम्पत्ति अब “शत्रु सम्पत्ति” एक्ट , 1968 के तहत भारत सरकार के अधीन हैं।
2017 में “शत्रु संपत्ति” कानून में परिवर्तन करके शत्रु सम्पति पर उसके मालिक या उनके वारिस के दावे पर पाबंदी लगा दी गई। और यह हर तरह की शत्रु सम्पत्ति ( चल और अचल दोनों ) पर लागू हो गई । इसके चलते अब वे ना तो अपने मकान-जायदाद वापस ले सकते हैं, ना ही बेच सकते हैं, ना ही शेयर मार्केट में विभिन्न कंपनियों में लगाए अपने शेयर बेचकर पैसा ले सकते हैं। इनमें से ज्यादातर अचल संपत्ति कोलकाता, मुंबई, लखनऊ, रामपुर, भोपाल सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान के विभिन्न स्थानों में हैं। जहां तक शेयर मार्केट में लगे धन की बात है, तो लगभग 3500 करोड़ रुपए के शत्रु शेयर हैं। इनमें ज्यादातर इक्विटी शेयर हैं। और इनमें भी ज्यादातर ब्लू चिप फार्मा, आईटी कम्पनियों के हैं। इनके शेयर सिप्ला, विप्रो, एसीसी,टाटा स्टील, हिन्दुस्तान मोटर्स, बंगाल एंड असम कं. लि., यूबीआई जैसी कम्पनियों में हैं। शत्रु सम्पत्ति एक्ट 1968 के सेक्शन 8-ए के सब सेक्शन-7 के अनुसार “निवेश और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग” शत्रु सम्पत्ति को बेच सकती है।
केन्द्र सरकार के सूत्रों के अनुसार इसके लिए 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के लगभग 6 दिन बाद ही गृह व निवेश सचिव की एक समिति गठित कर दी गई है। जिसकी रिपोर्ट कुछ दिन में आ जाने की संभावना है। ज्यादा से ज्यादा “शत्रु सम्पत्ति” इस वित्त वर्ष के दौरान ही ,यानि 31 मार्च 2019 के पहले ही बेचने की कोशिश की जायेगी। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार डा . हरि देसाई का कहना है कि पुलवामा आतंकी घटना की प्रतिक्रिया के तौर पर भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान पर 200 प्रतिशत टैक्स लगाने के बाद अब पाकिस्तानी मुसलमानों की भारत की सम्पत्ति (शत्रु सम्पत्ति) बेचने से केन्द्र की भाजपानीत सरकार को अप्रैल 2019 से होने वाले लोकसभा चुनाव में भावनात्मक लाभ भी मिल सकता है ।


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