बंगाल में घुसपैठ, एनआरसी और नागरिकता बना मुख्य चुनावी मुद्दा
कोलकाता, 12 अप्रैल (हि.स.)। पूरे देश में लोकसभा चुनाव बेरोजगारी, महंगाई, कालाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य मुद्दों पर लड़ा जा रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में उलटी गंगा बह रही है। यहां चुनाव का मुख्य मुद्दा आमजनों से जुड़ी मूलभूत सुविधाएं नहीं, बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठ, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) और नागरिकता (संशोधन) विधेयक है।
राज्य की 42 सीटों पर कब्जा करने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया है। ममता बनर्जी का मुख्य चुनावी मुद्दा एनआरसी बन गया है। इसी तरह से राज्य में 23 लोकसभा सीटों पर कब्जा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं कि बंगाल में हरहाल में एनआरसी लागू करेंगे जबकि ममता बनर्जी बार-बार कह रही हैं कि एनआरसी किसी भी सूरत में लागू करने नहीं देंगे।
इसी क्रम में गुरुवार को राज्य में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए शाह ने घुसपैठ के मुद्दे को उठाया। यहां तक कि बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को दीमक करार दिया। उन्होंने कहा कि एनआरसी को लाकर घुसपैठियों को भगाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल में एनआरसी, लोकतंत्र की बहाली और भ्रष्टाचार ने लोगों को इस बार सबसे अधिक प्रभावित किया है। भाजपा इन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ेगी।
उधर, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने इस बारे में शुक्रवार को कहा कि हम इस संदेश के साथ जनता के बीच जा रहे हैं कि एनआरसी और नागरिकता (संशोधन) विधेयक लोगों को कैसे प्रभावित करेगा। भाजपा इस पर उन्हें कैसे गुमराह करने की कोशिश कर रही है। हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और कोई भी शरणार्थी नहीं बनना चाहता है।
भाजपा ने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार जोर देकर कहा कि घुसपैठ देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी तरह से बंगाल सहित पूरे देश में रहने वाले हिंदू, सिख और बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए विधेयक को भी भाजपा में मुद्दा बनाया है।
राज्य में 30 लाख मतुआ समुदाय के लोग रहते हैं जो इसके दायरे में आ सकते हैं। इनका प्रभाव कम से कम 10 लोकसभा सीटों पर हैं। इसके जरिए भाजपा शरणार्थियों को भी अपने पक्ष में करने में जुटी है। भाजपा ने यह भी राज्य भर में प्रचार किया है कि तृणमूल अपनी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीतियों के तहत घुसपैठ कोबढ़ावा दे रही है।
राज्य में रायगंज, कूचबिहार, बालुरघाट, मालदा उत्तर एवं दक्षिण, बहरमपुर , मुर्शिदाबाद, जलपाईगुड़ी, जयनगर, बशीरहाट, बनगाव जैसे भारत-बांग्लादेश सीमा के पास की संसदीय सीटों में मुस्लिम आबादी का घनत्व बहुत अधिक है। यहां अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। अधिकतर सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। राज्य के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि तृणमूल वर्तमान में राज्य में अल्पसंख्यक मतदाताओं पर अच्छा प्रभाव रखती है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो पार्टी अवैध मदरसों के खिलाफ कदम उठाएगी। भाजपा ने राज्य भर में सारदा और रोजवैली चिटफंड घोटाले और नारद स्टिंग ऑपरेशन में भ्रष्टाचार को एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार सबसे भ्रष्ट सरकारों में से एक है।
माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार भारत की सबसे अधिक भ्रष्ट सरकार है। उन्होंने कहा कि भाजपा और तृणमूल एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं और जनता को बेवकूफ बनाते हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सांप्रदायिकता के नाम पर ध्रुवीकरण की कोशिश शुरू की है तो दूसरी और तृणमूल कांग्रेस ने तुष्टीकरण के नाम पर अल्पसंख्यकों का ध्रुवीकरण शुरू किया है। राज्य में मुख्य चुनावी मुद्दे नदारद हैं।