फरीदाबाद की सुप्रसिद्ध बड़खल झील 12 वर्षाें से पड़ी है ‘बेनूर’
फरीदाबाद, 14 फरवरी (हि.स.)। फरीदबााद की लाईफ लाइन कही जाने वाली बडख़ल झील पिछले करीब 12 वर्षाे से बेनूर पड़ी है। अरावली की गोद में 40 एकड़ से अधिक जगह में बसी मानव निर्मित झील आज सालों से अपनी प्यास बुझाने को हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। फरीदाबाद प्रशासन की ढेरों कोशिशें भी प्रकृति की इस अनुपम उपहार को बचा न सकी। बडख़ल के सौंदर्य से खुद को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी दूर न रख सकी और परिवार सहित यहां के दिलकश नजारों को देखने खींची चली आती थी। आज वही झील अपने अस्तित्व को भूलती जा रही है और झील को जिंदा करने के नाम पर सालों से मात्र राजनीति ही की जा रही है, लेकिन झील में जान कोई न डाल सका। गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2015 में बडखल झील को दोबारा से जीवित करने और इसके सौंदर्यीकरण को बनाए रखने के लिए 10 लाख देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार की तरफ से सर्वे कर प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा, लेकिन कहां गया सर्वे और कहां तैयार हुआ प्रोजेक्ट किसी को कुछ नहीं पता। इतना ही नहीं बडखल झील को गुलजार करने के लिए फरीदाबाद प्रशासन के पास भी कोई ब्ल्यू प्रिंट मौजूद नहीं है, ऐसे में कैसे सुधरेंगे झील के हालात इन पर प्रश्रचिन्ह लगा हुआ है। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सन 1972 में अपना जन्मदिन यहां मनाया था और वह झील के सौंदर्य से इस कदर प्रभावित हुई कि समय-समय पर यहां परिवार सहित आती और बोटिंग करती थी। तभी बड़खल झील उभरकर सबके अस्तित्व में आई और इसे प्रसिद्धी हासिल हुई। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोट के वैज्ञानिकों का दावा है कि साल 2006 में ही बडखल झील का पानी सूख गया था। उनके अनुसार उसी दौरान सूरजकुंड और दमदमा झील का पानी भी सूख गया। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार बरसाती पानी जमा होने से बनी इस झील के पतन का कारण अवैध माईनिंग को माना गया है। हालांकि सुप्रीमकोर्ट माईनिंग को लेकर प्रदेश सरकार को कड़ी प्रतिक्रया भी दे चुका है। हरियाणा सरकार औघ्र केंद्र सरकार की अन देखी का शिकार हुई बड़खल झील की दुर्दशा को सुधारने के लिए फरीदाबाद प्रशासन की तरफ से समय-समय पर काफी योजनाएं चलाई गई लेकिन कोई भी योजना अपने पूर्ण अंजाम तक नहीं पहुंची और अधर में ही दम तोड़ दिया। लोगों का कहना है कि सूखी बड़खल झील को देखने अब कोई सैलानी यहां नहीं आता क्योंकि यहां न तो अब पानी है न ही हरियाली। उन्होंने बताया कि हॉर्स राइडिंग और कैमल राइडिंग के लिए यहां ठेका लेना पड़ता है, लेकिन यहां सैलानी ही नहीं आते जिससे उनके पास अब कोई रोजगार नहीं है। इसका खमियाजा हरियाणा सरकार के होटलों को भी भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि प्रदेश सरकार को बड़खल झील को विकसित करने के लिए नए सिरे से योजना बनानी चाहिए। यहां के वाटरमैन राजेंद्र सिंह का कहना है कि बडखल झील का सूखना निराशाजनक है, माईनिंग के गड्ढे में पानी रुकने से समस्या उत्पन्न हुई है। जलधाराओं के मार्ग में आने वाले अवरोधों को हटाना होगा। सरकार को बारिश का इंतजार नहीं करना चाहिए और कैनाल सिस्टम से यहां तक पानी लाने की व्यवस्था करनी चाहिए। बड़खल झील के आवक संरक्षित नहीं है, उन्हें संरक्षित करना होगा। नेचुरल हेरिटेज को ठीक रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि बड़खल की विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा ने चुनाव जीतने के बाद इस झील में पानी लाने के लिए प्रयास जरुरत किए थे परंतु अभी तक इन प्रयासों को सफलता नहीं मिली है। उनका कहना है कि यह बड़खल ही नहीं बल्कि फरीदाबाद की प्रसिद्ध झील है और इसे विकसित करने के प्रयास जारी है। कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।