फरवरी 2019 में होंगे लोकसभा व 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव!

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नई दिल्ली,14 अगस्त (हि.स.)। सूत्रों के मुताबिक सत्ताधारी पार्टी भाजपा और केन्द्र सरकार फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव तथा उसके साथ 11 भाजपा शासित राज्यों का चुनाव कराकर, कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को धोबिया पाट लगा, सोचने, संभलने का मौका दिये बिना चित्त कर सकती है। यह चुनाव राष्ट्रहित का नारा देते हुए कराया जा सकता है। इसके लिए तर्क दिया जाएगा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से देश का कई हजार करोड़ रुपये खर्चा बचेगा, समय बचेगा। जो विधान सभा का चुनाव अलग-अलग कराने पर खर्च हो रहा है। इससे देश की प्रगति में, योजनाएं बनाने, सुचारू रूप से लागू करने में बाधा आ रही है। इससे देश का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। इसलिए लोकसभा के साथ विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना बहुत जरूरी है। इसकी शुरूआत फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव और उसी के साथ जितने अधिक से अधिक राज्यों का हो सके विधानसभा चुनाव भी कराया जाना ठीक रहेगा। सूत्रों का कहना है कि फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव हुआ तो उसके साथ जिन 11 भाजपा शासित राज्यों के विधान सभाओं के चुनाव कराने की बात हो रही है, वे हैं –
अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़,म.प्र.,हरियाणा, राजस्थान,महाराष्ट्र,आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना|
सूत्रों का कहना है कि इसे एक राष्ट्र, एक चुनाव के अभियान के तहत आगे बढ़ाया जाएगा। इसका विपक्षी दल पुरजोर विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को मालूम है कि विपक्षी दल इसके लिए राजी नहीं होंगे। इसलिए लोकसभा चुनाव को समय से 3 माह पहले फरवरी 2019 में कराने और उसके साथ भाजपा शासित 11 राज्यों के विधानसभा कराने के बारे में बात चल रही है, ताकि विरोधी दलों के विरोध की काट भी हो जाए, उनके समर्थन या सहमति की जरूरत भी नहीं रहे और चुनाव का लाभ भी मिल जाए। जिन राज्यों में भाजपा के शासन से कुछ नाराजगी है, उसकी काट भी हो जाए। सरकार का मानना है कि जनता में केन्द्र सरकार के प्रति उतनी नाराजगी नहीं है। इसका लाभ लोकसभा चुनावों के साथ 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने पर 11 राज्यों में भी मिल जाएगा और इन सभी राज्यों में भी फिर से भाजपा या उसके गठबंधन की सरकार बन जाएगी।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है कि लोकसभा चुनाव थोड़ा पहले कराने और उसके साथ कई राज्यों के चुनाव कराने पर राय बात तो हुई है, लेकिन कब कराया जाना है इस पर अंतिम निर्णय पार्टी व सत्ता के सर्वोच्चद्वय करेंगे।
इस बारे में 5 बार सांसद व गुजरात भाजपा के 2 बार अध्यक्ष रह चुके वरिष्ठ भाजपा नेता राजेन्द्र सिंह राणा का कहना है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव कराने की बात तो अटल बिहारी वाजपेई व लालकृष्ण आडवाणी के समय से चल रही है। लेकिन उनके राज में इतना बहुमत नहीं था| इसलिए इस पर अमल नहीं हो पाया। नरेन्द्र भाई की सरकार के पास बहुमत है और वह इसे कर सकते हैं। इसलिए इसे अगले लोकसभा चुनाव के साथ लागू किया जाना चाहिए। जितने भी विधानसभाओं का चुनाव अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ हो सके , कराया जाना चाहिए। फिर इसके बाद वाले लोकसभा चुनाव के साथ बाकी राज्यों का विधानसभा चुनाव करा लिया जाना चाहिए। इससे देश का बहुत अधिक समय व खर्च बचेगा।


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