फतेहपुर सीकरी: त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे राजबब्बर की प्रतिष्ठा दांव पर

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लखनऊ, 17 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां पर भाजपा उम्मीदवार राजकुमार चाहर से राजबब्बर को तगड़ी चुनौती मिल रही है। गठबंधन उम्मीदवार श्रीभगवान शर्मा भी लड़ाई में आने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं।
फतेहपुर सीकरी मुगल बादशाह अकबर की राजधानी भी रही है। सूफी संत सलीम चिश्ती की दरगाह भी यहां है। 2009 में बसपा ने यह सीट जीती। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के चौधरी बाबूलाल ने बसपा की सीमा उपाध्याय को हराया। भाजपा ने इस बार नये चेहरे पर दांव लगाया है इसलिए भाजपा के सामने अपनी सीट बचाने के साथ-साथ राजबब्बर के सामने अपना कौशल दिखाने की चुनौती है।
दूसरे चरण के चुनाव में 18 अप्रैल को यहां मतदान होना है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भले ही कमजोर हो लेकिन फतेहपुर सीकरी में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। राजबब्बर यहां सपा-बसपा गठबंधन पर भी भारी दिख रहे हैं। वह अपने फिल्म स्टार बेटे प्रतीक बब्बर और बेटी जूही बब्बर के ग्लैमर के बल पर सियासी जंग को अपने पक्ष में करने के लिए जुटे हैं।
कांग्रेस ने 2014 में यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। तब गठबंधन में यह सीट आरएलडी के पास चली गई थी। कांग्रेस-आरएलडी गठबंधन से ठाकुर अमर सिंह चुनाव मैदान में कूदे थे, लेकिन वह मुख्य मुकाबले से बाहर होकर चौथे स्थान पर खिसक गए थे। राजबब्बर 2014 में गाजियाबाद सीट पर बीजेपी के वीके सिंह से हार गए थे। उससे पहले वह 1999 और 2004 में लगातार दो बार आगरा सीट से जीतकर सांसद बने थे। 2009 में फतेहपुर सीकरी से हारने के बाद वह फिरोजाबाद के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराकर संसद पहुंचे थे। इस बार फिर राजबब्बर जीत की आस में हैं।
राजबब्बर का कहना है कि यह चुनाव संविधान को बचाने की लड़ाई है। मुक़ाबला उनसे है जो संविधान में दिए वंचितों के अधिकार ख़त्म करना चाहतें हैं। उन्होंने कहा कि फ़तेहपुर सीकरी में राहुल गांधी और प्रियंका के आने से चुनावी रंग बदल गया है। न्याय और अधिकार देने के कांग्रेस के वादे पर सबको यक़ीन है। जुमलेबाज़ी से निजात का वक़्त क़रीब है।


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