प्रिंट मीडिया पर हावी हो रहा डिजिटल मीडिया : जगदीश उपासने
कोलकाता, 25 जुलाई (हि.स.)। कोलकाता प्रेस क्लब एवं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी पत्रकारिता की तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर बुधवार को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति जगदीश उपासने ने कहा कि आज के दौर में डिजिटल मीडिया ने प्रिंट मीडिया को लगभग स्थानांतरित कर दिया है। तकनीक के वर्तमान दौर में डिजिटल मीडिया से टक्कर लेने के लिए पारंपरिक मीडिया तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्थिति यह है कि इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देशों में कई बड़े बड़े अखबार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आज के डिजिटल मीडिया के दौर में कोई भी खबर सिर्फ तीन मिनट तक के लिए ही एक्सक्लूसिव है। आज लाखों न्यूज पोर्टल बन चुके हैं। इसलिए अब कोई भी खबर पर्दे के पीछे नहीं रह सकती। उन्होंने कहा कि आज प्रिंट मीडिया एवं उसके पत्रकार संकट के दौर से गुजर रहे हैं। अखबारों की लॉयल्टी लगभग समाप्त होने के कगार पर है। आज का युवा लगभग खबरों से दूर हो गया है।
वर्ष 2009 के यूथ सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए उपासने ने कहा कि इस सर्वे के अनुसार न्यूज युवाओं की नौवीं पसंद है। युवाओं के पसंद के मामले में पहले और दूसरे नंबर पर क्रमशः संगीत और खेल हैं। इसलिए यदि अखबारों एवं न्यूज चैनलों को अपना अस्तित्व बचाये रखना है तो उन्हें युवाओं को जोड़ना होगा। युवाओं को जोड़ने के लिए ऐसे विषयों को प्रमुखता देनी होगी, जिनमें युवाओं की विशेष रुचि हो।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता पत्रकारों के डीएनए में होनी चाहिए। एक पत्रकार के लिए कनेक्टिविटी बेहद जरूरी है। तकनीक के इस दौर में भी पत्रकार को पत्रकारिता के मूल सिद्धान्तों का पालन करना होगा। भाषा का महत्व आज के दौर में भी बना हुआ है। अच्छा लिखने वालों की आज भी कमी है। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि हो सकता है कि आने वाले समय में खबरें कागज पर देखेने को न मिलें। समाचार के विषय मे उन्होंने कहा कि समाचार तथ्यपरक होने चाहिए एवं तथ्यों में सच्चाई होनी चाहिए।
समाचार एवं संपादकीय के अंतर को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि समाचार ऑब्जेक्टिव होता है जबकि संपादकीय सब्जेक्टिव। आज के समय मे कई अखबार घराने समाचार के रूप में पाठकों के सामने सब्जेक्टिविटी और ऑब्जेक्टिविटी का मिश्रण पेश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में इंग्लैंड के अखबार भी ऐसी ही खबरें पेश करते थे। धीरे धीरे वे ऑब्जेक्टिविटी की ओर लौटे। सब्जेक्टिव पत्रकारिता के अच्छे और बुरे दोनों पहलू हैं। इसके अच्छे पहलू को ग्रहण किया जाना चाहिए। पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पत्रकरिता नहीं की जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता में पदों की गरिमा बनी रहनी चाहिए।
समापन सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की रीवा शाखा के प्रभारी जयराम शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार सीताराम अग्रवाल एवं सुषमा त्रिपाठी ने भी समापन समारोह में अपने वक्तव्य रखे। सत्र का संचालन कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष स्नेहाशीष सुर ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन क्लब के सचिव किंशुक प्रमाणिक ने किया।