प्रधानमंत्री किसानों को देंगे अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र का बड़ा तोहफा

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वाराणसी, 28 दिसम्बर (हि.स.)। अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शनिवार को आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों को अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र का तोहफा देंगे। प्रधानमंत्री के स्वप्निल परियोजना (ड्रीम प्रोजक्ट)के संचालन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों के अलावा देश के अन्य कृषि विशेषज्ञ भी केन्द्र में किसानों को सलाह देंगे।
शुक्रवार को केन्द्र में आयोजित पत्रकार वार्ता में केन्द्र के महाप्रबंधक मैथु मोरेल, निदेशक डॉ. उमाशंकर सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि इस रिसर्च सेंटर का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता के धान की प्रजातियां विकसित करना, जिनके खाने में स्वाद हो, खुशबू हो, सेहत के लिए अच्छे हों। साथ ही केन्द्र में काला नमक, राजरानी, बादशाह पसंद, ब्लैक चावल जैसी उत्कृष्ट प्रजातियों की उत्पादकता पर शोध होगा । उन्होंने बताया कि पूर्वांचल के जलवायु एवं मिट्टी में होने वाले श्रीराम भोग, सुगंधा, बासमती, मंसूरी समेत अन्य हाईब्रिड प्रजातियों की गुणवत्ता, पैदावार, पौष्टिकता आदि के बढ़ाने पर भी शोध होगा।
डा. उमाशंकर सिंह ने बताया कि इस अनुसंधान केन्द्र में धान की नयी प्रजातियां तो विकसित की ही जाएंगी, इसके अलावा मिटटी की गुणवत्ता को जांच कर धान की खेती करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि ज़्यादातर लोगों को आज मधुमेह की बीमारी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए यहां धान की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्य किया जाएगा। उसके साथ ही साथ हम कम लागत में किसानों को ज्यादा उत्पादन करने का मौक़ा दें इस पर भी शोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा विभिन्न किश्म के धान से अच्छे जीन लेकर नई किश्म की डिजाइन्स निकालने पर कार्य होगा। उन्होंने कहा कि वाराणसी सहित पूर्वांचल में लगभग दस लाख हेक्टेयर भूमि पर चावल उत्पादन होता है। मगर कई बार मिट्टी की गुणवत्ता एवं जलवायु परिवर्तन के चलते पैदावार में कमी आ जाती है। इस शोध केन्द्र के जरिए उन्नत किस्म के चावल की पैदावार होने में आसानी रहेगी। निदेशक ने बताया कि इस केंद्र में 50 से 60 कर्मचारी हमेशा मौजूद रह कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि भारत 1960 से अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) से जुड़ा हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवंबर, 2017 में फिलीपींस के मनीला में आईआरआरआई मुख्यालय का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। वहां उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों के साथ चावल के क्षेत्र में कृषिगत नवाचार और उन्नत अनुसंधान के बारे में चर्चा की थी। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र के राजातालाब में पेरीशेबल कार्गो के रूप में किसानों को एक बड़ा तोहफा पहले ही दे चुके हैं।
पूर्वांचल में धान उत्पादन पर एक नजर
चंदौली, एक लाख 15 हजार हेक्टेयर
गाजीपुर, 1 लाख 57 हजार हेक्टेयर
जौनपुर, 1 लाख 59 हजार 121 हेक्टेयर
बलिया,1 लाख 17 हजार 36 हेक्टेयर
मऊ, 92 हजार 392 हेक्टेयर


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