प्रदूषण के मामले में एक बार फिर दिल्ली को पीछे छोड़ गया कोलकाता
कोलकाता, 17 फरवरी (हि.स.)। औपनिवेशिक काल से ही मस्ती की नगरी के रूप में विख्यात कोलकाता की वायु अब धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है। पिछले साल के अंतिम छह माह प्रदूषण के मामले में कोलकाता को हमेशा सुर्खियों में रखने वाला था। दीपावली से लेकर छठ पूजा और साल के अंतिम माह तक यहां वायु प्रदूषण का सूचकांक दिल्ली से भी आगे चला गया था। यह सिलसिला इस साल भी जारी है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक फरवरी माह के पहले दो सप्ताह में प्रतिदिन कोलकाता में वायु प्रदूषण का सूचकांक दिल्ली से अधिक रहा। इतना ही नहीं देशभर के 85 शहरों की वायु प्रदूषण को लेकर लगातार की गई निगरानी में कोलकाता 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में रहा है, जो यहां रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक स्थिति है। रविवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि 15 दिनों के अंदर कोलकाता में वायु प्रदूषण का सूचकांक किसी भी दिन सामान्य पर नहीं रहा है।
उल्लेखनीय है कि पहली फरवरी को देशभर में सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहर के रूप में कोलकाता को चिन्हित किया गया था। इसके बाद ठीक एक दिन पहले यानी 16 फरवरी शाम चार बजे वायु प्रदूषण सूचकांक 2.5 पीएम पर 254 था, जो सामान्य से चार गुना अधिक है। राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में दो फरवरी को वायु सूचकांक 332 पर था जबकि कोलकाता में 338 पर था। तीन को दिल्ली में वायु सूचकांक 289 पर था जबकि कोलकाता में 338 पर, चार को दिल्ली में वायु सूचकांक 288 पर था जबकि कोलकाता में 305 पर था।
इसी तरह से सात फरवरी को दिल्ली में वायु सूचकांक 176 था, जबकि कोलकाता में 332 पर, आठ को दिल्ली में वायु सूचकांक 144 पर था जबकि कोलकाता में 306 पर, नौ को दिल्ली में वायु सूचकांक 158 पर था जबकि कोलकाता में 262 पर और 15 फरवरी को दिल्ली में वायु प्रदूषण का सूचकांक 245 पर था जबकि कोलकाता में 344 पर था। इस तरह से यह आंकड़े बता रहे हैं कि प्रतिदिन कोलकाता में वायु प्रदूषण का आंकड़ा दिल्ली से ज्यादा रहा है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का दावा है कि कोलकाता में चलने वाली पुरानी गाड़ियों की वजह से ही लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। राज्य पर्यावरण विभाग का कहना है कि हाल के दिनों में 15 साल से अधिक पुरानी वाणिज्यिक वाहनों को राजधानी में प्रवेश पर निषेधाज्ञा लागू की गई है। हांलाकि जो यात्रीवाही गाड़ियां हैं, वह जस की तस चल रही हैं और उन्हीं की वजह से प्रदूषण तेजी से फैल रहा है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में प्रतिदिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम पूरे शहर में घूमती है। कहीं भी किसी भी तरह का वायु प्रदूषण कारक नजर आने पर तत्काल उसे हटाया जाता है लेकिन कोलकाता में ऐसा नहीं होता। इसी वजह से वहां प्रदूषण बढ़ा है।