प्रदर्शन टीम इंडिया की उम्मीद बंधाने वाला
आईपीएल के 12वें सत्र की समाप्ति के साथ फोकस बदलकर इस माह यानी 30 मई से इंग्लैंड और वेल्स में होने वाले विश्व कप पर आ गया है। हम यदि आईपीएल के इस सत्र में खेले टीम इंडिया के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखें तो खिलाड़ियों की तैयारियों का अंदाजा लगता है। विराट कोहली की अगुआई वाली टीम इंडिया के ज्यादातर खिलाड़ी फाइनल होने तक रंगत को पा चुके थे। अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि क्या विराट कोहली अपनी कप्तानी में खेलने वाले पहले विश्व कप को भारत ला सकेंगे और कपिलदेव तथा महेंद्र सिंह धोनी वाली उपलब्धि को हासिल कर सकेंगे। वैसे विराट कोहली का यह तीसरा विश्व कप है। वह महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीते 2011 के विश्व कप की टीम में शामिल थे। इसके बाद 2015 में सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से हारने वाली टीम का भी हिस्सा थे।
हम आईपीएल के इस सत्र में विराट कोहली के प्रदर्शन की बात करें तो कप्तानी वाला पक्ष तो निराश करता है। लेकिन बल्लेबाजी में प्रदर्शन अच्छा रहा है। यह सही है कि विराट ने बल्लेबाजी में जिस तरह की धाक बनाई हुई है, उस तरह का प्रदर्शन भले ही नहीं कर सके पर 14 मैचों में एक शतक और दो अर्धशतकों से 464 रन बनाने को खराब प्रदर्शन नहीं कह सकते। यह रन भी उन्होंने 141.46 की स्ट्राइक रेट से बनाए हैं। यह अलग बात है कि आरसीबी को वह प्लेऑफ में नहीं पहुंचा सके। इसलिए उनकी कप्तानी पर सवाल उठना लाजिमी है। लेकिन टीम इंडिया और आरसीबी का नेतृत्व करना दो अलग-अलग बातें हैं। इसके अलावा महेंद्र सिंह धोनी की सलाह के बाद विराट की कप्तानी में और निखार आ जाता है। इसलिए इस मामले में चिंतित होने वाली कोई बात नहीं है।
किसी भी टीम की सफलता में ओपनरों के प्रदर्शन की अहम भूमिका रहती है। टीम इंडिया में यह भूमिका रोहित शर्मा और शिखर धवन निभाते हैं। मुंबई इंडियंस को अपनी कप्तानी में चौथी बार चैंपियन बनाकर इतिहास रचने वाले रोहित शर्मा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वनडे खिलाड़ियों में शुमार किये जाते हैं। वह इस प्रारूप में तीन दोहरे शतक लगाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। वह भी विराट की तरह बल्लेबाजी में आईपीएल के इस सत्र में अपना बेस्ट देने में असफल रहे। उन्होंने 15 मैचों में दो अर्धशतकों से 405 रन बनाए। रोहित के जोड़ीदार ओपनर शिखर धवन शुरुआत में रंगत में नहीं दिख रहे थे। लेकिन उन्होंने कुछ मैच निकलते ही जबर्दस्त रंगत पाकर विश्व कप में धमाकेदार प्रदर्शन की उम्मीद बंधा दी है। उन्होंने 16 मैचों में पांच अर्धशतकों से 521 रन बनाए। यह सही है कि इस जोड़ी के प्रदर्शन पर टीम इंडिया का प्रदर्शन बहुत निर्भर करेगा। एक अच्छी बात और है कि तीसरे ओपनर के तौर पर चुने गए लोकेश राहुल की फॉर्म को देखकर तो लगता है कि उन्हें मध्यक्रम में भी मौका दिया जा सकता है। लोकेश राहुल की टीम किंग्स इलेवन पंजाब अच्छी शुरुआत करके भी प्लेऑफ में स्थान नहीं बना सकी। लेकिन लोकेश राहुल ने 14 मैचों में एक शतक और छह अर्धशतकों से 593 रन बनाए। वह सर्वाधिक रन बनाकर ऑरेंज कैप पाने वाले डेविड वॉर्नर के बाद रन बनाने में दूसरे नंबर पर रहे।
मध्यक्रम की बल्लेबाजी की बात करें तो विराट की अगुआई में इस जिम्मेदारी को केदार जाधव, महेंद्र सिंह धोनी और विजय शंकर को संभालना है। महेंद्र सिंह धोनी का इस आईपीएल सत्र में शानदार प्रदर्शन से 8.10 साल पुराने धोनी की याद दिला दी। धोनी का इस तरह खेलना टीम इंडिया को विश्व कप में बहुत फायदा पहुंचाने वाला है। चेन्नई सुपरकिंग्स की फाइनल तक चुनौती ले जाने में धोनी के चतुराईभरे फैसलों के अलावा उनकी बल्लेबाजी की भी अहम भूमिका रही। धोनी ने 15 मैचों में 416 रन बनाए। इसमें तीन अर्धशतक शामिल रहे। धोनी की बल्लेबाजी टीम को कई बार संकट से निकालने वाली रही। लेकिन केदार जाधव और विजय शंकर का उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाना थोड़ी चिंता पैदा करता है। इसमें केदार जाधव का कंधे में चोट खा जाना मुश्किलों को और बढ़ाने वाला है। चयनकर्ताओं को उम्मीद है कि केदार समय पर फिट हो जाएंगे। वैसे भी 23 मई तक टीम में बदलाव किया जा सकता है। जहां तक प्रदर्शन की बात है तो केदार ने 14 मैचों में 162 रन और विजय शंकर ने 15 मैचों में 244 रन बनाए। यह प्रदर्शन बहुत उम्मीदें तो नहीं बंधाता है।
टीम इंडिया का एक्स फैक्टर है हार्दिक पांड्या। भले ही वह मुंबई इंडियंस को चैंपियन बनाने वाले फाइनल में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके। लेकिन पूरी लीग में उनका प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहा। हार्दिक पांड्या ने 16 मैचों में 191 की स्ट्राइक रेट से 402 रन बनाए हैं। हार्दिक ने तमाम मैचों में अपने विस्फोटक अंदाज से टीम को सुरक्षित स्कोर तक पहुंचाया। उन्होंने इसके अलावा 14 विकेट लिए और 11 कैच भी पकड़े हैं। सही मायनों में पांड्या कंपलीट पैकेज हैं। उन्होंने अपनी टीम के चैंपियन पर कहा भी कि अब आगे बढ़ने का समय है और मैं विश्व कप को भी अपने हाथों में उठाना चाहता हूं। इसमें दो राय नहीं है कि हार्दिक पांड्या की चलने पर ही चैपियन बनने की संभावनाएं बनेंगी।
टीम इंडिया के पेस अटैक को बहुत धारदार माना जा रहा है। इस अटैक की खूबी यह है कि भारतीय गेंदबाज विकेट लेने वाले हैं और वह सिर्फ रन रोकने में विश्वास नहीं करते हैं। टीम इंडिया के इस अटैक की जान जसप्रीत बुमराह हैं। उन्होंने 16 मैचों में 6.63 के इकॉनमी रेट से 19 विकेट लिए। साथ ही मुंबई इंडियंस को चैंपियन बनाने में अहम किरदार भी निभाया। इस गेंदबाज की खूबी है कि वह कप्तान की चाहत के हिसाब से भी गेंदबाजी करना जानते हैं। मोहम्मद शमी ने काफी समय तक अपने ऊपर टेस्ट गेंदबाज का ठप्पा लगा रहने के बाद अब अपने को छोटे प्रारूप में भी साबित कर दिया है। उन्होंने किंग्स इलेवन के लिए खेलते हुए 14 मैचों में 19 विकेट निकाले। भुवनेश्वर कुमार जरूर पूरी रंगत में नहीं दिखे हैं। उन्होंने 2016 में 23 और 2017 में 26 विकेट लिए थे। लेकिन इस बार 15 मैचों में 13 विकेट लेकर निराश किया है। स्पिन गेंदबाजी में कुलदीप यादव को भारतीय अटैक का तुरुप का इक्का माना जा रहा था। लेकिन वह नौ मैचों में चार ही विकेट ले सके। यही नहीं, केकेआर को उन्हें आगे के मैचों में बाहर बैठाना पड़ा। इस झटके से वह अपने को विश्व कप में कितना उबार पाते हैं, यह तो वक्त बताएगा। हालांकि यजुवेंद्र चहल (18 विकेट) और रविंद्र जडेजा (15 विकेट) के रंगत में होने से चिंता की बात नहीं है। वैसे अगले कुछ दिनों में भुवी और कुलदीप रंगत में नहीं लौटे तो थोड़ी दिक्कत होगी। फिर भी टीम इंडिया के अनुभव और युवाओं का मिश्रण होने से संतुलन के मामले में परफेक्ट है। इसलिए बेहतर परिणाम की उम्मीद तो की ही जानी चाहिए।