प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट पर होगा रोचक मुकाबला
प्रतापगढ़, 12 फरवरी (हि. स.)।प्रतापगढ़ जिले की विधानसभा सीट सदर 2022 के विधानसभा चुनाव में रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। सदर विधानसभा सीट पिछले विधानसभा के चुनाव में भाजपा अपना दल गठबंधन के तहत अपना दल के कोटे में रहती थी, लेकिन इस चुनाव में सदर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी चुनाव मैदान में है ।
जपा नेता राजा अनिल प्रताप सिंह ने अपना नामांकन वापस ले लिया है और भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी राजेन्द्र प्रसाद मौर्य का प्रचार करेंगे। निर्दल उम्मीदवार अनिल प्रताप सिंह को मनाने की कवायद में लगे भाजपा के पदाधिकारी हुए सफल।निर्दल उम्मीदवार राजा अनिल प्रताप सिंह ने सदर सीट से नामांकन पत्र वापस लिया। सदर विधान सभा सीट पर कमेरावादी-सपा गठबंधन और भाजपा-गठबंधन प्रत्याशियों को लेकर पटेल मतदाताओ में असमंजस बरकरार है। अनुप्रिया पटेल की मां को जिताने के लिए पटेल मतदाता भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं। बसपा प्रत्याशी आशुतोष त्रिपाठी को मिल रहे मतदाताओं के समर्थन से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार। लोगों के बीच लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे कांग्रेस प्रत्याशी डॉ नीरज त्रिपाठी और आशुतोष त्रिपाठी में सदर का मतदाता अपना भविष्य देख रहा है । प्रतापगढ़ सदर सीट पर सपा गठबंधन प्रत्याशी कृष्णा पटेल को हराने की रणनीति में अनुप्रिया पटेल का दल जुटा हुआ है। प्रतापगढ़ सदर क्षेत्र में भाजपा ने रूठों को मनाया।सदर क्षेत्र से राजा अनिल प्रताप सिंह ने नामांकन वापस ले लिया।
भाजपा जिलाध्यक्ष हरि ओम मिश्र के साथ अफीम कोठी पहुँचकर नामांकन वापस लिया। भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र मौर्य के समर्थन में अपना दल एस ने बैठक कर अपना दल एस के जिलाध्यक्ष बृजेश पटेल ने भाजपा प्रत्याशी को जिताने की रणनीति बनायी । अपना दल की मीटिंग में भाजपा प्रत्याशी के साथ भाजपा जिला मीडिया प्रभारी राघवेंद्र शुक्ल भी मौजूद रहे ।राजा अनिल प्रताप सिंह के भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में नामांकन वापिस लेने और अपना दल की रणनीति के बाद भाजपा दम खम में दिखी।
सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन अनुप्रिया पटेल का दल मुश्तैदी से जुटा हुआ है। इस नाते सदर विधानसभा सीट पर मुकाबला रोमांचक हो गया है। अपना दल अनुप्रिया और सपा अपना दल समर्थित कृष्णा पटेल को सपा के भीतरघात का नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजेंद्र मौर्य को भाजपा से प्रत्याशी बनाया गया है जिसके कारण भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी देखी जा सकती है । बसपा से आशुतोष त्रिपाठी कुछ ज्यादा असर छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं। सपा कार्यकर्ताओं को एक डर यह भी है कि अगर कृष्णा पटेल के यहां से चुनाव जीतती हैं प्रतापगढ़ के नेताओं का भविष्य खतरे में भी पड़ सकता है । इसलिए कृष्णा पटेल को भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में सपा से नाराज कार्यकर्ता नीरज त्रिपाठी की तरफ रुख कर सकते हैं। ओवैसी की पार्टी को भी नजरअंदाज करना गलत होगा क्योंकि पिछली बार ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी को लगभग 20 हजार वोट मिले थे। अगर वह इस बार भी अच्छी लड़ाई लड़ता है तो सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी का ही करेगा । ऐसे में कृष्णा पटेल का जीतना और दुश्वार हो जाएगा। फिलहाल राजेंद्र मौर्य ,नीरज त्रिपाठी और कृष्णा पटेल बीच त्रिकोणीय संघर्ष के हालात हैं।