पुलवामा पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव, चीन ने नहीं दिया पाकिस्तान का साथ
जिनेवा/न्यूयार्क/नई दिल्ली, 22 फरवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात रखी। संयुक्त राष्ट्र(यूएन) में पुलवामा आतंकी हमले को लेकर प्रस्ताव लाया गया। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद्(यूएनएससी) में लाया गया, जिसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांचों स्थायी सदस्य एवं 10 गैर-स्थायी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। गौर करने वाली बात यह है कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य होने के साथ वीटो अधिकार प्राप्त है, फिर भी चीन ने पुलवामा आतंकी हमले पर आए इस प्रस्ताव को नहीं रोका।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त राष्ट्र(यूएन) डेस्क से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यूएन में पुलवामा आतंकी हमले से संबंधित इस प्रस्ताव को भारत अपने मित्र देशों के साथ लाया था। इस प्रस्ताव की भाषा इस तरह रखी गई है कि प्रस्ताव में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और आतंक फैलाने वालों को कटघरे में खड़ा करने के लिए वैश्विक सहयोग मिल सके और इसमें भारत सफल रहा। सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने पुलवामा आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों के साथ-साथ भारतीय लोगों और भारत सरकार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। सभी ने पुष्टि की कि अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। साथ ही इस बात को भी रेखांकित किया गया कि आतंकी कृत्यों के आयोजकों, फाइनेंसरों और प्रायोजकों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाए और उन्हें कानून के दायरे में खड़ा किया जाए।
इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने दुनिया के सभी सदस्य देशों से अपील की है कि वे अपने सामर्थ्य के अनुसार भारत सरकार और इस संबंध में अन्य सभी संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय सहयोग करें। परिषद् ने दोहराया कि आतंकवाद का कोई भी कार्य आपराधिक और अन्यायपूर्ण है, चाहे उनकी प्रेरणा कोई भी हो, जब भी और जिस किसी ने भी किया हो, वो अक्षम्य है। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार भी आतंकवादी कृत्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अंतर्गत भी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।