पान वाले का बेटा बना जेईई का टॉपर, परिवार को हर खुशी देने की तमन्ना
गया (हि.स.)। जेईई-मेन प्रवेश परीक्षा- प्रथम में 99.56 पर्सेंटाइल प्राप्त करने वाले शुभम की चाहत जीवन में एक अच्छा इंसान बनने के साथ-साथ अपनी छोटी बहन, मम्मी और पापा को हर वो खुशी देने की है जिससे वे सभी आज तक वंचित रहे हैं। शुभम ने कहा कि अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद वे पापा को पान बेचने नहीं देंगे। पापा ने हमारे चेहरे पर एक मुस्कान देखने के लिए अपनी पूरी जिंदगी गरीबी और अभाव में गुजार दी।
शुभम ने जेईई-मेन प्रवेश परीक्षा-प्रथम में 99.56 पर्सेंटाइल प्राप्त कर गया शहर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उसके पिता गया शहर में फुटपाथ पर पान की दुकान चलाते हैं। वे जेईई-मेन प्रवेश परीक्षा- प्रथम में शुभम के 99.56 पर्सेंटाइल प्राप्त करने से काफी खुश हैं। शुभम के पिता शिवकुमार प्रसाद वर्णवाल ने बताया कि उन्होंने गरीबी को काफी नजदीक से न केवल देखा है बल्कि आज भी किसी तरह वे अपनी जिन्दगी और परिवार की गाड़ी खींच रहे हैं। उन्होंने गरीबी के कारण कक्षा दो तक पढ़ाई की। स्कूल की फीस और पठन-पाठन के लिए घर में पैसा नहीं था। अपने माता-पिता और परिवार के लिए बचपन से ही फुटपाथ पर पान की दुकान चलाने लगे। उनका मानना है कि अधूरे सपनों को अपने पुत्र शुभम के माध्यम से पूरा करने की चाहत है। यदि पूर्व डीजीपी अभयानंद के मार्गदर्शन में संचालित ‘मगध सुपर 30’ का साथ नहीं मिलता तो उनका सपना, सपना ही रह गया होता।
शुभम की मां कौशल्या देवी ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे ने परीक्षा में काफी अच्छा किया है तो कुछ समय के लिए खुशी से मुंह से कोई शब्द नहीं निकला। कौशल्या देवी के अनुसार गरीबी क्या होती है, इससे पूरा परिवार बहुत नजदीक से रुबरु होता रहा है। शुभम ने बताया कि उसकी तीन बहनें हैं। दो की शादी हो चुकी है। एक छोटी बहन है जिसकी पढ़ाई और उसकी शादी के लिए अभी से सपना देखने लगा है। शुभम का मानना है कि यदि मगध सुपर 30 का साथ नहीं मिलता तो वो आज अपने पापा के साथ ठेले पर पान बेच रहा होता। इसलिए उसने कहा कि ‘समाज’ का ऋण समाज को लौटाने के लिए हर प्रयास भी कम होगा।