पाक सेना का हास्यापद बयान, अंधेरा था इसीलिए देख नहीं भारतीय लड़ाकू विमान
इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। भारतीय वायुसेना की पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों पर हुई एयर स्ट्राइक को लेकर पाकिस्तानी सेना का हास्याप्रद बयान सामने आया है। भारत की इस कार्रवाई पर जब पाकिस्तानी मीडिया ने पाक सेना से सवाल किए, तो पाक सेना को जबाव देते नहीं बने। मीडिया ने जब पाक सेना से पूछा कि सीमा उल्लंघन कर पाकिस्तान में घुसने वाले भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जहाजों को क्यों नहीं मार गिराया गया, तो पाक सेना ने अंधेरा होने और भारतीय जेट विमानों के बहुत तेज उड़ने का बहाना बनाया। पाक मीडिया के तीखे सवालों के सामने पाक सेना के प्रवक्ता कई बार लड़खड़ाए और हास्यास्पद बयान दिए।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि जहाज इसीलिए नहीं गिराए गए क्योंकि जिस वक्त भारतीय वायुसेना ने अटैक किया, बहुत अंधेरा था और भारत के लड़ाकू जहाज बहुत तेजी से उड़ गए। पहली कॉम्बेट कहां गई, दूसरी कॉम्बेट कहां गई, पता नहीं चला। हम यही चाहते थे कि काश भारतीय वायुसेना के जहाज थोड़ी और देर हमारे आसमान में रहते। मालूम नहीं भारत ने ये क्या किया। यदि उन्हें हमारी मिलिट्री को टारगेट करना था, तो वो एलओसी को क्रॉस किए बगैर भी कर सकते थे। यदि उनके हमले का डिजाइन ही ऐसा था कि हमें ड्रॉय रन लेना है और पाकिस्तान के मदरसे पर अटैक करना है, तो पाकिस्तान में तो हजारों मदरसे हैं लेकिन उन्होंने एक ही पर अटैक किया। उसमें हमारे स्टूडेंट्स होते हैं। यदि ऐसे में कैजुअल्टी होती है, तो उन(भारत) लोगों के लिए झूठ को सच करना, आसान हो जाता है कि जो शहीद बच्चे हैं वो तो बताएंगे नहीं कि हम पीसफुल थे और वो (भारत) उनको आतंकी बताते हैं।
पाकिस्तानी फौज का ये बयान साफ बताता है कि भारतीय वायुसेना के बालाकोट में चल रहे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैम्प पर एयर स्ट्राइक से पाक सेना सकते में है। पाकिस्तान की सेना के लिए अब अपने ही देश की मीडिया के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय वायुसेना ने मंगलवार अलसुबह एलओसी के अंदर जाकर बालाकोट में चल रहे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैम्पों को तबाह कर दिया है, जिसमें 350 से ज्यादा जैश आतंकियों के मारे जाने की खबर है। जैश-ए-मोहम्मद ने हाल ही में पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए अटैक की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 40 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे।