पांचवें चरण में पांच दिग्गजों के साथ दो बाहुबलियों की साख दांव पर
-सभी दलों ने चौदह सीटों के लिए झोंकी ताकत
-181 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे दो करोड़ 47 लाख मतदाता
लखनऊ, 28 अप्रैल (हि.स.)। चौथे चरण का चुनाव प्रचार समाप्त होते ही राजनीतिक पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत यूपी के अवध क्षेत्र की 14 सीटों के लिए अपनी ताकत झोंक दी। पांचवें चरण के चुनाव में 181 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 2 करोड़, 47 लाख मतदाता करेंगे। इस चरण में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह, जितिन प्रसाद जैसे कई दिग्गजों के भाग्य का भी फैसला होगा।
इस चरण के चुनाव में धौरहरा से आठ उम्मीदवार मैदान में है। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भी चुनाव मैदान में है। उनके खिलाफ गठबंधन के उम्मीदवार अरसद अहमद सिद्दीकी और भाजपा से रेखा वर्मा ने लड़ाई को त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा उम्मीदवार रेखा वर्मा वर्तमान में भी सासंद हैं और जितिन को ही हराया था। अरसद अहमद सिद्दीकी सपा और बसपा के वोट बैंक के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं के सहारे अपनी जीत का भरोसा कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार अरसद अहमद सिद्दीकी के आने से रेखा वर्मा के लिए राह आसान हो गई है।
अमेठी लोकसभा की सीट जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पुश्तैनी सीट मानकर चल रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इस सीट पर हार के बाद भी पांच साल से लगातार अमेठी आती रही हैं। इस बार वे एक परिपक्व नेता की तरह गांव-गांव से परिचित हैं। इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। इस चरण में यूपी में यही सीट है, जहां से सर्वाधिक 27 उम्मीदवार मैदान में हैं। कई कांग्रेस नेताओं द्वारा भाजपा का दामन थाम लेने से भी राहुल गांधी की मुश्किल बढ़ गयी है।
रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की सोनिया गांधी अपनी परंपरागत सीट से भाग्य आजमा रही हैं। वहां से 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां से भी सपा-बसपा ने सोनिया के समर्थन में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन भाजपा दिनेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतार कर सोनिया गांधी को चुनौती देने की कोशिश की है। वहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई भाजपा के दिग्गज चुनाव प्रचार के लिए जा चुके हैं।
लखनऊ सीट पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह पुन: एक बार भाग्य आजमा रहे हैं। उनको टक्कर देने के लिए गठबंधन ने कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम को उम्मीदवार बनाया है। शत्रुघ्न सिन्हा पटना से कांग्रेस उम्मीदवार होते हुए भी अपनी पत्नी के नामांकन में लखनऊ आये थे। सबसे बड़ी बात है कि पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही डा. रीता बहुगुणा जोशी इस बार स्वयं भाजपा में हैं और वे इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही हैं। पूनम सिन्हा के प्रचार से गठबंधन के कई दिग्गजों ने किनारा कर लिया है। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री का मुलायम सिंह का हालचाल लेना भी राजनीतिक नजरिये से उनके लिए फायदेमंद माना जा रहा है।
सीतापुर लोकसभा सीट पर 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां महागठबंधन से बसपा उम्मीदवार नकुल दुबे और भाजपा के राजेश वर्मा के बीच सीधी टक्कर है। वहीं कांग्रेस की केसर जहां इसे त्रिकोणीय मुकाबला बनाने के लिए जुटी हैं। नकुल दुबे को जब बसपा से टिकट मिला था तो वहां पर बसपा कैडर के स्थानीय नेताओं ने भी इनका विराेध किया था। अब भी सपा और बसपा के स्थानीय नेता उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं। इससे उनके सामने अपनों के अंतरद्वंद से निपटने की चुनौती है।
लखनऊ जिले की दूसरी सीट माेहनलालगंज में गठबंधन से बसपा उम्मीदवार सीएल वर्मा भाजपा के उम्मीदवार और वर्तमान सांसद कौशल किशोर को टक्कर दे रहे हैं। कौशल किशोर पिछली बार ही भाजपा में शामिल थे। इससे पहले ये कम्युनिस्ट नेता थे। इस सीट पर कांग्रेस के आरके चौधरी सहित 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
बुंदेलखंड की बांदा की सीट पर मुकाबला बहुत दिलचस्प है। पिछली बार भाजपा से इलाहाबाद से सांसद रहे श्यामाचरण गुप्ता को इस बार बांदा में गठबंधन ने अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने यहां के वर्तमान सांसद भैरो प्रसाद मिश्र का टिकट काटकर आरके पटेल को टिकट दे दिया है। भैरो प्रसाद और श्यामाचरण के बीच काफी नजदीकियां हैं। टिकट कटने के बाद भैरो प्रसाद ने विरोध भी जताया था। चुनाव में भाजपा को भितरघात का डर भी सता रहा है। कांग्रेस के बालकुमार गुप्ता सहित यहां आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
फतेहपुर संसदीय सीट पर कुल 10 उम्मीदवार हैं। यहां महागठबंधन उम्मीदवार सुखदेव प्रसाद भाजपा उम्मीदवार व वर्तमान सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को टक्कर दे रहे हैं। साध्वी को अभी प्रयागराज में अर्धकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि मिली है। वहां पर रोड शो करके कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। कौशांबी लोकसभा सीट पर कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां पर भाजपा उम्मीदवार विनोद सोनकर को गठबंधन उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज टक्कर दे रहे हैं। वहां पर राजा भैया की पार्टी जनसत्ता से शैलेद्र भी लड़ाई में हैं। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार गिरीश चंद पासी इस लड़ाई को चतुष्कोणिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
फैजाबाद संसदीय सीट पर गठबंधन से जहां आनंदसेन यादव हैं। भाजपा ने वर्तमान सांसद लल्लू सिंह पर ही पुन: दांव लगाया है। कांग्रेस ने निर्मल खत्री को यहां से चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। बहराइच सीट पर कुल 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। यहां महागठबंधन से सपा उम्मीदवार शब्बीर वाल्मीकि भाजपा के अक्षयवर लाल गौंड़ को टक्कर दे रहे तो वहीं सावित्री फुले इसे त्रिकोणीय बनाने में जुटी हैं।
गोंडा में महागठबंधन से सपा उम्मीदवार विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह और भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह के बीच सीधी टक्कर है। कांग्रेस की कृष्णा पटेल सहित कुल 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। महागठबंधन उम्मीदवार क्षेत्र में बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते हैं। कीर्तिवर्धन के पिता आनंद यूपी में सपा के कार्यकाल में एक बार मंत्री भी रह चुके हैं। यह परिवार पहले कांग्रेसी, फिर सपाई इसके बाद भाजपाई हो गया।
कैसरगंज के भाजपा उम्मीदवार बृजभूषण शरण सिंह भी बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते हैं। ये पहले भाजपाई से बीच में सपा नेता बन गये थे। फिर पिछली बार भाजपा से चुनाव लड़कर सांसद बने थे। इनके खिलाफ महागठबंधन से बसपा उम्मीदवार चंद्रदेव राम यादव चुनाव लड रहे हैं, जबकि विनय कुमार पांडे कांग्रेस से लड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बृजभूषण शरण को सिर्फ पंडित सिंह ही टक्कर दे सकते थे, जिन्हें गठबंधन ने गोंडा से चुनाव लड़ा दिया।