पत्रकार से अरबपति बनने की आरके सिन्हा की कहानी, फोर्ब्स एशिया की जुबानी

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नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। दुुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने अपने एशिया संस्करण में सिक्यूरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विस (एसआईएस) समूह के चेयरमैन, बीजेपी राज्यसभा सांसद तथा हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी के अध्यक्ष आरके सिन्हा पर एक स्पेशल रिपोर्ट प्रकाशित की है। अपनी इस विशेष रिपोर्ट में ‘फोर्ब्स एशिया’ ने आरके सिन्हा के भारत-पाक युद्ध के दिनों से लेकर वर्तमान में उनके कार्यों को सम्मिलित किया है। फोर्ब्स एशिया की ये खास रिपोर्ट बताती है कि कैसे एक युवा पत्रकार को युद्ध की रिपोर्टिंग करते हुए बिजनेस आइडिया आता है, जो उसे कुछ दशक बाद दुनिया के अरबपतियों के समूूह में ला खड़ा कर देता है। फोर्ब्स एशिया की विशेष रिपोर्ट बताती है कि कैसे एक सरकारी कर्मचारी के आठ बच्चों में से एक रवींद्र किशोर सिन्हा, जिन्होंने बचपन में अपनी बहन को इलाज के अभाव में मरते देखा हो, एक दिन हजारों-लाखों लोगों को मुफ्त इलाज और दूसरी जरूरतें पूरी करते दिखते हैं। मूर्धन्य संपादक, विचारक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय की मानें तो युवा दिनों से उनके मित्र रहे आरके सिन्हा का ये पुरूषार्थ है। वे जिस काम को करने की ठान लेते हैं, उसके अनुरूप खुद को ढाल लेते हैं। आत्म-अनुशासन के लिए विख्यात आरके सिन्हा, दुर्घटनावश अरबपति नहीं बने, जैसा फोर्ब्स एशिया की विशेष रिपोर्ट कहती है| ये तो उनकी प्रतिभा और परिश्रम है, जिसके चलते वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। रामबहादुर राय याद करते हैं कि कैसे अपने युवा दिनों से आरके सिन्हा हमेशा से अपने समकालीनों से पहल करने को लेकर अव्वल रहे। राय एक किस्सा सुनाते हैं कि कैसे नवम्बर, 1971 में गुजरात के अहमदाबाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के अधिवेशन के समय युवा आरके सिन्हा को प्रचार-प्रसार टोली का नेतृत्व दिया गया। आरके सिन्हा अपनी टोली को लेकर नए-नए तरीकों से संवाद करते हुए ऐसे अपने काम में रत हुए, कि एबीवीपी का अहमदाबाद अधिवेशन पूरे देश में जाना गया। ये वो वक्त था, जब जनसंघ (बीजेपी का पूर्ववर्ती रूप) देश में उतना व्यापक नहीं था। बावजूद इसके टीम लीडर आरके सिन्हा ने चुनौती को स्वीकारा और अपने काम को सफल करके ही माने। फोर्ब्स एशिया की विशेष रिपोर्ट बताती है कि 70 के दशक में हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी के युवा रिपोर्टर के रूप में आरके सिन्हा ने युद्ध मैदान में जाकर रिपोर्टिंग की। इसी दौरान उन्हें सेना से निवृत्त हुए सैनिकों के कल्याण और रोजगार के लिए विचार आया। इस तरह 1974 में उन्होंने बिहार के पटना से सिक्यूरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज (एसआईएस) बनाकर सेवानिवृत्त सैनिकों को शेष जिंदगी के लिए जीविकोपार्जन देने का काम शुरू किया। एसआईएस अब दुनिया में निजी सुरक्षा कारोबार के क्षेत्र में बड़ी पांच कंपनियों में से एक है, जिसका प्रबंधन आरके सिन्हा के पुत्र रितुराज सिन्हा संभालते हैं। फोर्ब्स रितुराज सिन्हा पर पहले ही अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित कर चुकी है। रामबहादुर राय अपने मित्र आरके सिन्हा के काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को लेकर एक किस्सा सुनाते हैं। अगस्त-सितम्बर, 2017 की बात थी। आरके सिन्हा ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में भागवत कथा का आयोजन करवाया। भागवत कथा साध्वी ऋतंबरा कर रही थीं। उस दौरान रामबहादुर राय और आरके सिन्हा महान साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के गांव में आयोजित विचार कुंभ में शामिल होने जा रहे थे। अलसुबह उठकर काम में लग जाने वाले आरके सिन्हा से जब रामबहादुर राय ने पूछा कि क्या वे इतनी व्यस्तता के चलते दोपहर के भोजन के बाद आराम कर पाएं, तो सिन्हा ने जवाब दिया कि काम को देखते हुए उन्होंने पूरी भागवत कथा के दौरान हफ्ते भर तक दोपहर में भोजन नहीं करने का निश्चय लिया। इस तरह एक ओर धार्मिक मान्यता के मुताबिक सिन्हा भागवत के दौरान उपवास करते रहे, वहीं उनका काम भी नहीं रूका। 1917 से प्रकाशित हो रही ‘फोर्ब्स’ पत्रिका अपनी बेहतरीन रिपोर्ट्स के लिए जानी जाती है, जिसमें दुनियाभर के नव-उद्यमियों, बाजार, ब्रॉन्ड, तकनीकी, कारोबार, निवेश, अर्थव्यवस्था जैसे तमाम वित्त एवं अर्थजगत से जुड़े विषयों को समाहित किया जाता है। फोर्ब्स को दुनियाभर में हर महीने साढ़े छह करोड़ लोग पढ़ते हैं। फोर्ब्स हर साल दुनिया में अर्थजगत से जुड़ी शख्सियतों, संस्थाओं सहित तमाम कारकों की सूची जैसे फोर्ब्स-500 कंपनियां, बनाती है, जो दुुनिया में सबसे प्रामाणिक मानी जाती है।


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