न्यायालय के आदेश पर पूर्व भारतीय राजदूत से खाली कराया गया किराये का घर

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नैनीताल, 08 मार्च (हि.स.)। नगर में एक घर पर किरायेदार के रूप में लंबे समय से काबिज सेवानिवृत्त भारतीय राजदूत से न्यायालय के आदेश पर सोमवार को घर खाली करवा लिया गया।
बताया गया है कि सेवानिवृत्त भारतीय राजदूत संतोष खरे पुत्र एमएल खरे नगर के चिड़ियाघर रोड, छावनी परिषद तल्लीताल नैनीताल स्थित राजन विनायक पुत्र धर्मवीर के रोज माउंट भवन में लंबे समय से काबिज थे। कब्जा खाली न करने पर राजन विनायक ने 2017 में कब्जा खाली कराने को न्यायालय में वाद दायर किया था। इस पर 3 मार्च 2022 को सिविल जज नैनीताल सविता चमोली की अदालत से मकान मालिक के पक्ष में फैसला आ गया। इसके बावजूद वह घर खाली करने को नहीं आए।
न्यायालय के आदेश पर न्यायालय से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर राजेश त्रिपाठी एवं तल्लीताल थाने के चीता मोबाइल प्रभारी शिवराज राणा की मौजूदगी में श्री खरे के कब्जे से मकान खाली करवा दिया गया, और सामान की लिस्ट बनाकर सामान केयर टेकर के सुपुर्द कर दिया गया। बताया गया है कि पूर्व में लंबे समय से किसी भवन में रहने वाले किरायेदारों से घर को खाली करना बड़ा मुश्किल हो जाता था और घर पर किरायेदार का ही कब्जा हो जाता था, लेकिन अब ‘उत्तर प्रदेश शहरी भवन किराए पर देने, किराए तथा बेदखली का विनियमन अधिनियम 1972’ की धारा 23 के अधीन आदेश है कि किरायेदार भवन का कब्जा धारक नहीं बन सकता। इसी आधार पर पूर्व राजदूत से घर खाली करवाया गया।
विधवा और बुजुर्ग सहित पांच अन्य परिवार थे काबिज
हालांकि इस मामले में यह भी बताया जा रहा है कि भवन की लीज जरूर सेवानिवृत्त भारतीय राजदूत संतोष खरे पुत्र एमएल खरे के नाम पर थी, किंतु वास्तव में वह पिछले 50 वर्षों से यहां नहीं आए। बल्कि उनकी छत्रछाया में एक विधवा व बुजुर्ग सहित पांच परिवार यहां रह रहे थे। यहां काबिज लोगों का कहना था कि जिन लोगों ने घर खाली कराया है, उनके दादा 50 वर्ष पूर्व इसे खंडहर के रूप में छोड़ गए थे। आय का कोई पक्का प्रबंध न होने के बावजूद उन्होंने इस अवधि में इस घर पर लाखों रुपए खर्च कर मरम्मत की और इसे रहने लायक बनाया और रहने को जगह कम पड़ने पर अपने खर्च पर यहां निर्माण भी कराया। उन्हें बिना नोटिस के खाली करवाया गया। कम से कम एक माह का समय तो देना ही चाहिए था।


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