न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला का इस्तीफा
नागपुर, 11 फरवरी (हि.स.)। मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर बेंच की अतिरिक्त न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने त्यागपत्र दे दिया है। शुक्रवार 11 फरवरी न्यायमूर्ति गनेडीवाला के कार्यकाल का आखरी दिन है। शनिवार 12 फरवरी को वे रिटायर होनेवाली थीं। कथित विवादित फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला के नाम की स्थायी जज के रूप में सिफारिश नहीं करने का फैसला किया था। बहरहाल, इस इस्तीफे के बाद वे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस कर सकेंगी।
न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने 19 जनवरी 2020 को पारित अपने फैसले में 12 साल की लड़की के साथ यौन अपराध केस में आरोपित को बरी किया था। इस फैसले में न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने कहा था कि स्किन-टू-स्किन संपर्क में आए बिना किसी को छूना पोक्सो एक्ट के तहत यौन हमला नहीं माना जाएगा। यही नहीं, 5 साल की बच्ची का हाथ पकड़ने और पेंट खोलने को भी जस्टिस गनेडीवाला ने यौन उत्पीड़न नहीं माना था।
वहीं, एक अन्य फैसले में उन्होंने पत्नी से पैसे की मांग करने को उत्पीड़न करार नहीं दिया था। साथ ही आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को रिहा कर दिया। इसके बाद उनका प्रमोशन रोक दिया गया था। जस्टिस गनेडीवाला के फैसलों पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि उनके आदेश खतरनाक मिसाल कायम करेंगे।
इसके पहले भी, केंद्र सरकार ने अतिरिक्त जज के रूप में उन्हें दो साल का विस्तार देने के कॉलेजियम के फैसले को लेकर असहमति जताई थी। यौन शोषण का सामना करने वाले बच्चों के प्रति उनकी असंवेदनशीलता के आधार पर केवल एक साल का विस्तार दिया था। बीते 18 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न प्रावधानों की जानकारी देते हुए जनवरी 2020 में पारित जस्टिस गनेडीवाला के दो फैसलों को रद्द कर दिया था।