नीतीश कुमार को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज
नई दिल्ली, 06 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली एक और याचिका को आज खारिज कर दिया है। अपनी नई याचिका में याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पक्षकार बनाया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आपकी याचिका दोषपूर्ण है| आपने सबको पक्षकार बना दिया है। आपकी याचिका खारिज की जाती है। पिछले 19 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर लाल शर्मा की याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दी थी कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है। पहले की याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि जब नीतीश कुमार ने हलफनामा दायर किया था उस समय उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं था। निर्वाचन आयोग ने नीतीश कुमार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने की मांग की। निर्वाचन आयोग के हलफनामे में कहा गया था कि नीतीश कुमार ने 2015 और 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था तो चुनावी हलफनामा दायर करने का सवाल ही नहीं है। इसी तरह उन्होंने 2013 में भी बिहार विधान परिषद का चुनाव नहीं लड़ा फिर याचिकाकर्ता ने कहां से नीतीश कुमार के चुनावी हलफनामे हासिल किए। निर्वाचन आयोग ने कहा कहा कि याचिकाकर्ता ने आयोग को ई-मेल के जरिये ज्ञापन भेजा था लेकिन तकनीकी कारणों से ये ई-मेल नहीं खुल रही है। वकील मनोहरलाल शर्मा ने याचिका दायर कर कहा था कि नीतीश कुमार ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को छिपाया। मनोहरलाल शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार के खिलाफ एक आपराधिक मामला चल रहा है। नीतीश कुमार 1991 में बाढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से पहले कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में आरोपी हैं। उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि इस मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ मामला दर्ज करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। उन्होंने निर्वाचन आयोग के 2002 के आदेश के मुताबिक नीतीश कुमार की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। निर्वाचन आयोग के उक्त आदेश के मुताबिक उम्मीदवारों को नामांकन पत्र के साथ अपने हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का ब्यौरा देना पड़ेगा।