नारायण सेवा संस्थान का 37वां ‘सामूहिक दिव्यांग एवं निर्धन विवाह समारोह’ 6 मार्च को
उदयपुर, 04 मार्च (हि.स.)। नारायण सेवा संस्थान के उदयपुर में लियों का गुड़ा (बड़ी) स्थित सेवा महातीर्थ में 6 मार्च को 37वां निशुल्क दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह समारोह होगा। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं उत्तर प्रदेश के 21 जोड़े पारम्परिक रस्मों-रिवाज व वैदिक मंत्रों के बीच पवित्र अग्नि के फेरे लेकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करेंगे।
संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने शुक्रवार को बताया कि पिछले 20 वर्षों में आयोजित 36 दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह में संस्थान 2130 दिव्यांग व गरीब परिवारों के जोड़ों का घर-संसार समाज के सहयोग से बसाने में सफल हुआ। ये सभी जोड़े अपनी सन्तति के साथ खुशहाल हैं।
उन्होंने बताया कि 6 मार्च को प्रातः 9ः15 बजे संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’, सह संस्थापिका कमला देवी एवं देश के विभिन्न प्रान्तों से आए अतिथियों के सान्निध्य में गणपति स्थापना के पश्चात पारम्परिक पोशाक में नवयुगलों की बिन्दोली निकलेगी। बाद में तोरण की रस्म होगी। दुल्हनों के हाथों पर पारम्परिक वैवाहिक गीतों के बीच मेहंदी लगाई जाएगी। तत्पश्चात वरमाला होगी। उक्त सभी जोड़ों की हल्दी की रस्म 5 मार्च को होगी।
संयोजक विष्णु शर्मा ‘हितैषी’ ने बताया कि विवाह समारोह की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं, विवाह बंधन में बंध रहे जोड़ों में से अधिकतर ऐसे हैं जिन्होंने अपनी दिव्यांगता से निजात पाने के लिए संस्थान के अस्पताल में निःशुल्क सुधारात्मक सर्जरी करवाई अथवा कृत्रिम अंग या कैलीपर्स लगवाया। यहीं उन्होंने विभिन्न रोजगारोन्मुख प्रशिक्षणों में से एक में ट्रेनिंग लेकर आत्मनिर्भरता भी हासिल की। विवाह समारोह में देश-विदेश से नवयुगलों को आशीष देने के लिए कोरोना के चलते सीमित संख्या में अतिथियों को आमंत्रित किया गया है, हालांकि बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन से वर्चुअल जुड़ेंगे।
आयोजन प्रभारी दल्लाराम पटेल ने बताया कि इस समारोह का 6 मार्च को प्रातः 10 से 1 बजे तक संस्कार चैनल पर सीधा प्रसारण तथा 7 मार्च को आस्था चैनल पर विशेष प्रसारण किया जायेगा। अतिथियों-नवयुगलों व उनके परिजनों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए समितियों का गठन किया गया है। विवाह में शामिल होने वाले सभी जोड़ों को उनके घरों से लाया जायेगा तथा पुनः निवास स्थान पर गृहस्थी के आवश्यक सामान के साथ संस्थान के वाहनों से उनके घर-गांव, शहर तक पहुंचाया जाएगा। इस अवसर पर कार्यक्रम के पोस्टर का भी विमोचन किया गया जिसमें संस्थान के जनसम्पर्क प्रमुख भगवान प्रसाद गौड़, रवीश कावड़िया एवं रोहित तिवारी भी मौजूद रहे।
विवाह समारोह के व्यवस्थित एवं सफलतापूर्वक संचालन के लिए संस्थान साधक-साधिकाओं की विशेष समितियों का गठन किया गया है। जिनमें दूल्हा-दुल्हन एवं परिजन के आवास व भोजन समिति, अतिथि स्वागत एवं पंजीयन समिति, अतिथि आवास एवं भोजन समिति, अतिथि व दूल्हा-दुल्हन वाहन व्यवस्था समिति, प्रेस, फोटो-वीडियो व चैनल प्रसारण समिति, पाणिग्रहण व्यवस्था समिति, विवाह स्थल साज-सज्जा समिति, बिन्दोली व्यवस्था समिति, अल्पाहार व जल व्यवस्था समिति, हल्दी, मेहंदी, वरमाला व तोरण विधि समिति, गृहस्थी सामग्री वितरण व विदाई व्यवस्था समितियां प्रमुख हैं।
पवित्र अग्नि के फेरों के लिए विवाह स्थल पर 21 कुण्ड वेदियां बनाई गई हैं। प्रत्येक वेदी पर पूजन व हवन सामग्री के साथ प्रत्येक पर एक आचार्य होंगे जो मुख्य आचार्य के निर्देशन में वैदिक रीति से पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न करायेंगे। पारम्परिक सात वचनों के साथ ही दूल्हा-दुल्हन को ‘बेटी पढाओं-बेटी बचाओ’ व घर-पड़ोस में स्चछता सम्बन्धी शपथ भी दिलाई जाएगी। प्रत्येक वेदी पर युगल के माता-पिता, परिजन व धर्म माता-पिता भी पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न करने में शामिल होंगे।
नव युगलों को संस्थान एवं देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले अथवा वर्चुअल जुड़ने वाले अतिथियों की ओर से वह सारा सामान दिया जाएगा जो दूल्हा-दुल्हन व एक नई गृहस्थी के लिए आवश्यक है। इनमें मुख्यतः मंगलसूत्र, कर्णफूल, बिछिया, पायल, अंगूठी, 5-5 जोड़े वेश एवं शृंगार प्रसाधन, कोठी, बिस्तर, बाल्टी, कुकर, क्रॉकरी, डिनर सैट, गैस चूल्हा, संदूक, घड़ी आलमारी, सिलाई मशीन आदि शामिल हैं।
पाणिग्रहण संस्कार में शामिल प्रत्येक जोड़े को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्थान सरकार की विशेष योजना ‘सुखद् दाम्पत्य जीवन’ के तहत 25-25 हजार रुपये की सहायता भी प्रदान करवाई जाएगी।