देश में दो दशकों में तेजी से बढ़ा शहरीकरण, घटी है गरीबी : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 02 मार्च (हि.स.) । देश में पिछले दो दशक में शहरीकरण में जबर्दस्त वृद्धि हुई है, जबकि गरीबी घटी है। वर्ष 1994 से 2012 के दौरान गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों का प्रतिशत 45 से घटकर 22 पर आ गया है। इस कालखंड में करीब 13 करोड़ भारतीय गरीबी के दुष्चक्र से मुक्त हुए।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत विश्व के अन्य देशों में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। इसका असर सबसे अधिक एशिया और अफ्रीका में हुआ है। भारत में वर्ष 1994 से 2012 के दौरान गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों का प्रतिशत 45 से घटकर 22 पर आ गया है। मौजूदा समय में शहरों में बसे प्रत्येक छह परिवारों में से एक परिवार गंदी बस्तियों में रहता है। वर्ष 2030 तक भारत के लगभग 40 करोड़ से अधिक लोग शहरों में बसे होंगे। एशिया और अफ्रीका में शहरीकरण का यह आंकड़ा करीब 90 प्रतिशत रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही प्रगति की दर प्रभावशाली है, लेकिन भारत में गैरबराबरी अब भी विकास की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती है। मातृत्व मृत्यु दर का ही उदाहरण लिया जा सकता है। प्रत्येक एक लाख जीवित शिशुओं पर केरल में 61 महिलाएं मौत का शिकार होती हैं। असम में 300 से अधिक महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। गरीबी, असमानता और तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण विश्व स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीज़) को हासिल करना मुश्किल हो रहा है। निरंतर बढ़ती मांग को पूरा करने, समतामूलक और समावेशी शहरी विकास को सतत रखने एवं गरीबी कम करने के लिए सरकार ने कई पहल की हैं। उदाहरण के लिए- सभी के लिए आवास, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन, डिजिटल इंडिया, जनधन योजना और मेक इन इंडिया।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए सुधारों से विदेशी निवेश बढ़ा है। देश में व्यापार के लिए उत्तम परिवेश तैयार हुआ है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 2014 में 71 से बढ़कर 2015 में 55 हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों की वित्तीय और डिजिटल समावेश संबंधी नीतियों का उल्लेखनीय असर देखने को मिला। बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और राष्ट्रीय विशिष्ट पहचान संख्या (जैम या जन धन-आधार-मोबाइल) को लिंक करने की सरकार की पहल ने वित्तीय समावेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रत्येक भारतीय का एक बैंक खाता हो, यह सुनिश्चित करने के लिए यूनिवर्सल बैंकिंग कवरेज के लिए पहल की गई है। इसके अंतर्गत लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी एवं दूसरे लाभ सीधे हस्तांतरित होते हैं और सरकार के जन कल्याण के कार्यक्रमों में लीकेज जैसी कमियां खत्म होती हैं।