देशभर में फैली सैन्य भूमि का पता लगाने वाले रक्षा सम्पदा कर्मियों का सम्मान
आजादी के बाद पहली बार हुआ देश भर की 17.99 लाख एकड़ सैन्य भूमि का सर्वेक्षण
– रक्षा मंत्री ने सम्पदा कार्यालयों के 11 अधिकारियों और 24 कर्मियों को पुरस्कृत किया
नई दिल्ली, 11 फरवरी (हि.स.)। आजादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने देश भर में फैली कुल 17.99 लाख एकड़ सैन्य भूमि का पता लगाया है। जीपीएस, ड्रोन इमेजरी और सेटेलाइट इमेजरी जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करके सर्वेक्षण करने में तीन साल लगे हैं। इस कार्य में लगे रक्षा सम्पदा कर्मियों को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में सम्मानित किया है। यह पुरस्कार 38 रक्षा सम्पदा कार्यालयों तथा चार सहायक रक्षा सम्पदा कार्यालयों के 11 अधिकारियों और 24 कर्मियों को प्रदान किए गए।
रक्षा सम्पदा कार्यालय के अनुसार देशभर में रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व वाली कुल 17.99 लाख एकड़ जमीन है, जिसमें से 1.61 लाख एकड़ जमीन देशभर की 62 सैन्य छावनियों के भीतर स्थित है। छावनी के बाहर कई इलाकों में करीब 16.38 लाख एकड़ जमीन फैली हुई है। इस भूमि में से लगभग 18 हजार एकड़ जमीन या तो राज्य सरकारों ने किराये पर ले रखी है या अन्य सरकारी विभागों को हस्तांतरण किये जाने का प्रस्ताव है। आजादी के बाद पहली बार हुए सर्वेक्षण का काम पूरा करने में तीन साल लगे हैं, जो अपने आप में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इस कार्य में विभिन्न राज्य सरकारों के राजस्व अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
रक्षामंत्री ने इस तरह के सर्वेक्षण में पहली बार ड्रोन इमेजरी, उपग्रह इमेजरी और 3-डी मॉडलिंग तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिये रक्षा सम्पदा महानिदेशालय की सराहना की। पुरस्कृतों को बधाई देते हुये राजनाथ सिंह ने रक्षा सम्पदा कर्मियों की प्रशंसा की कि उन लोगों ने गैर-आबाद और दूर-दराज के क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसमी हालात तथा कोरोना महामारी के खतरे के बावजूद यह काम पूरा किया। उन्होंने ऐतिहासिक सर्वेक्षण पूरा होने के बाद विश्वास व्यक्त किया कि रक्षा जमीनों का स्पष्ट सीमांकन इन इलाकों की सुरक्षा तथा विकास के लिए महत्त्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के जरिये जमीन की सटीक नपाई होने के बाद विश्वसनीय दस्तावेज तैयार हो सके। इस तरह सैन्य जमीन के विवादों को हल करने में आसानी होगी।
उन्होंने कहा कि इन तकनीकों से मिले परिणाम ज्यादा सटीक और भरोसेमंद हैं। सर्वेक्षण में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन और डिफ्रेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया है। ड्रोन और उपग्रह इमेजरी आधारित सर्वेक्षण भी किये गये, ताकि सटीक और समय पर नतीजे मिल सकें। रक्षामंत्री ने देश के सामाजिक-आर्थिक तथा सांस्कृतिक विकास में छावनी इलाकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद अब सरकार ने रक्षा भूमि की चहारदीवारी बनाने के लिये बजट में 173 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। रक्षा भूमि की सुरक्षा, भू-स्वामित्व की सुरक्षा, दस्तावेज और नक्शों को दुरुस्त करना तथा सीमांकन जरूरी है। इस अवसर पर रक्षा भूमि सर्वेक्षण की चार रिपोर्टों को भी जारी किया गया।
पुरस्कार समारोह में रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, सेना उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवा) संजीव मित्तल, रक्षा सम्पदा महानिदेशालय के महानिदेशक अजय कुमार शर्मा तथा रक्षा मंत्रालय और रक्षा सम्पदा महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।