दुनिया में 1.7 अरब लोगों के पास खाते नहीं : विश्व बैंक
वाशिंगटन, 23 अप्रैल (हि.स.)। दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है, लेकिन अब भी एक बड़ी आबादी इस सेवा से वंचित है और जिनके पास बैंक खाते तक नहीं है। हाल यह है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में 22.5 करोड़ लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं और इसके बाद भारत का स्थान है जहां 19 करोड़ लोग बैंकिंग से वंचित हैं। यह खुलासा विश्व बैंक की एक रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में 10 करोड़ और इंडोनेशिया में 9.5 करोड़ लोग बैंकिंग सेवा से वंचित हैं। इन चार अर्थव्यवस्थाओं के साथ तीन अन्य देश नाइजीरिया, मैक्सिको और बांग्लादेश को मिलाने पर दुनिया में बैंकिंग सेवाओं से वंचितों की संख्या 1.7 अरब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में बैंकिंग सेवाओं के मामले में भी लिंगभेद दिखता है। वैश्विक स्तर पर 72 फीसदी पुरुषों और 65 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते है। इस तरह लैंगिक भेद 7 फीसदी का है, जबकि विकासशील देशों में बैंक खाते रखने के मामलों में लैंगिक भेद 9 फीसदी का है। वहीं, भारत में पुरुषों की तुलना में बैंकिंग सेवाओं से वंचित महिलाओं की संख्या करीब 56 फीसदी हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 19 करोड़ वयस्कों का कोई बैंक खाता नहीं है, जबकि यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। हालांकि देश में खाताधारकों की संख्या वर्ष 2011 में 35 फीसदी से बढ़कर 2017 में 80 फीसदी हो गई। हालांकि विश्व बैंक के आंकड़ों में कहा गया है कि भारत सरकार की ‘जन धन योजना’ नीति से देश में खाताधारकों की संख्या नाटकीय रूप से बढ़ी है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, जन धन खाताधारकों की संख्या साल 2017 के मार्च में 28.17 करोड़ थी, जो 2018 के मार्च में बढ़कर 31.44 करोड़ हो गई है। देश में साल 2015 के मार्च महीने में कुल चालू और बचत खातों की संख्या 122.3 करोड़ थी, जो 2017 के मार्च में बढ़कर 157.1 करोड़ हो गई। साथ ही बैंक खातों के मामले में लैंगिक भेद कम हुआ है और अब 83 फीसदी पुरुषों और 77 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं।