दिल्ली से मेरठ एक घंटे में, रैपिड रेल कॉरिडोर का ‘पाइल-लोड’ टेस्ट शुरू
नई दिल्ली, 30 जनवरी (हि.स.)। अगले कुछ वर्षों में दिल्ली से मेरठ की दूरी एक घंटे से भी कम समय में तय की जा सकेगी। इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की बुधवार से ‘पाइल-लोड’ टेस्ट शुरू कर दी। यह कॉरिडोर दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक जाएगा।
इस कॉरिडोर पर ट्रेनें 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी जबकि मौजूदा समय में देश में सबसे तेज गति से दौड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन-18) की भी गति 130 किमी प्रतिघंटा बताई जा रही है। इस लिहाज से यह कॉरिडोर भारत में दौड़ने वाली सबसे तीव्र ट्रेनों के लिए तैयार किया जा रहा है।
एनसीआरटीसी एमडी विनय कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में पहला परीक्षण गाजियाबाद में मोहन नगर फ्लाईओवर के पास शुरू किया गया। पाइल लोड टेस्टिंग से कॉरिडोर के सिविल स्ट्रक्चर और पिलर की क्षमता आंकी जाएगी। इस परीक्षण में यह पता लगाया जाएगा कि क्या यह ढांचा 180 किमी प्रति घंटा की तीव्र गति से दौड़ने वाली ट्रेन के वजन को झेलने में सक्षम है या नहीं। इस कॉरिडोर की टेस्टिंग का काम अगले दो महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।
एनसीआरटीसी अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली-गाजियाबाद- मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर 82 किमी लंबा है और इसमें 22 स्टेशन होंगे। परियोजना की डीपीआर को पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी थी जबकि दिल्ली सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी हाल ही में मिली है। इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए भू-तकनीकी सर्वेक्षण, सड़क चौड़ीकरण कार्य और यूटिलिटी डायवर्जन कार्य जैसी पूर्व-निर्माण गतिविधियां जोरों पर हैं। हाई-स्पीड रेल 60 मिनट से भी कम समय में मेरठ से नई दिल्ली की दूरी तय करेगी। यह एनसीआर को दिल्ली से जोड़ने वाली एक नई, समर्पित, उच्च गति, उच्च क्षमता वाली आरामदायक सेवा होगी।
अधिकारियों ने बताया कि इस कॉरिडोर पर दौड़ने वाली ट्रेन मेट्रो ट्रेनों की तरह न केवल अत्याचधुनिक होंगी। हमारा लक्ष्य 2024 से पहले इस कॉरिडोर पर हाई स्पीड ट्रेनों का परिचालन शुरू करना है।