दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के उल्लंघन पर नाराज एनजीटी ने बनाई रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में निरीक्षण कमेटी

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नई दिल्ली, 30 जनवरी (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली में मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन होने पर चिंता जताई है। एक समाचार पत्र की खबर पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने दिल्ली के रिहायशी इलाकों में चल रहे उद्योगों पर नकेल कसने में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी, नगर निगमों, डीडीए और दिल्ली प्रशासन को विफल बताया है।

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रशासन मास्टर प्लान 2021 के साथ-साथ वाटर एक्ट 1974, एयर एक्ट 1981 हेजार्डस वेस्ट रूल्स 2016, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का भी उल्लंघन हुआ है।

एनजीटी ने पर्यावरण को और नुकसान से बचाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस प्रभा रानी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण कमेटी (ओवरसाइट कमेटी) का गठन किया है। इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएसआईआईडीसी, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी, डीडीए , संबंधित डीएम और नगर निगमों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एनजीटी ने इस कमेटी के लिए दस दिनों के अंदर अपने प्रतिनिधियों को नामित करने का निर्देश दिया है । इस ओवरसाइट कमेटी की नोडल एजेंसी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी होगी।

ये कमेटी पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर नजर रखेगी और इस समस्या से निपटने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करेगी। कमेटी अपनी वेबसाइट बनाएगी, जिसमें आम लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करने तथा रिहायशी इलाके में गैरकानूनी रूप से चलाये जा रहे उद्योगों पर फीडबैक भी लेगी। कमेटी लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए इंफॉर्मेशन, एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन (आईसी) का कार्यक्रम तैयार करेगी। इस कार्यक्रम में शैक्षिक, धार्मिक और सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी। ओवरसाइट कमेटी वायु और जल प्रदूषण को कम करने और इसे नुकसान पहुंचाने वाले उद्योगों को बंद करने की अनुशंसा कर सकती है। कमेटी उद्योगों से पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन कर मुआवजा तय करेगी।

एनजीटी ने पाया कि मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन करते हुए दिल्ली के रिहायशी इलाकों में 51 हजार 837 उद्योग चल रहे हैं। इन उद्योगों से प्रदूषण बढ़ रहा है। इनमें डाई, केमिकल, रबड़, एस्बेस्टस, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल, ऑटो स्पेयर पार्ट्स, आयरन स्मेल्टिंग और सीएफएल लाइट से जुड़े उद्योग शामिल हैं। इनसे निकलनेवाले औद्योगिक कचरे सीधे नाले या हवा में डाले जाते हैं। दिल्ली के उद्योग विभाग के आंकड़े के मुताबिक जिन इलाकों में पर्यावरण नियमों का सबसे ज्यादा उल्लंघन हुआ है, उनमें पश्चिमी दिल्ली के मोती नगर, कीर्ति नगर, रमेश नगर, जंगपुरा, नजफगढ़ और मानसरोवर गार्डन में जबकि दक्षिणी दिल्ली में भोगल, आश्रम, महिपालपुर, महारानी बाग और जंगपुरा शामिल हैं। इसी तरह पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर, झील, शास्त्री नगर, कैलाश नगर, जाफराबाद और शाहदरा और सेंट्रल दिल्ली में सदर बाजार, चांदनी चौक, मलकागंज, बल्लीमारन, लालकुंआ और कश्मीरी गेट में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की समस्या है। इसके अलावा करोलबाग, पटेल नगर, आनंद पर्वत, रोहतक रोड, राजेंद्र नगर, ओल्ड राजेंद्र नगर, जीटी रोड, बदरपुर और विश्वास नगर में पर्यावरण नियमों की ज्यादा शिकायतें हैं।


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