टीएमसी का इंटरनल सर्वे : बंगाल में माकपा का वोट जा रहा है भाजपा के पास

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कोलकाता, 16 मई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की सत्ता पर 33 सालों तक शासन करने वाली वामपंथी पार्टियों के ठोस मतदाता अब भारतीय जनता पार्टी की ओर बढ़ चले हैं। यह खुलासा राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के इंटरनल सर्वे में हुआ है। इसीलिए जब अमित शाह के रोड शो के दौरान ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति टूटी तो टीएमसी इसे जोर शोर मुद्दा बना रही है ताकि बुद्धिजीवी वामपंथी टीएमसी के पक्ष में रहें।

टीएमसी की आंतरिक रिपोर्ट और प्रतिक्रिया से पता चलता है कि 2014 के आम चुनाव में वामपंथी दल को जो 30 प्रतिशत वोट मिला था वो अब काफी हद तक भाजपा की ओर हस्तांतरित हो रहा है। यह टीएमसी के लिए प्रमुख चुनौती है। आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारी संभावनाएं अब वामपंथी वोट के बदलाव के स्तर पर हैं। हमें उम्मीद है कि 30 से अधिक सीटें मिलेंगी लेकिन अगर वामपंथी अपने हिस्से का 10 फीसदी से अधिक खो देते हैं, तो हम 25 से भी नीचे जा सकते हैं। पार्टी के नेताओं को यह भी डर है कि कम से कम 15 सीटों पर जहां अल्पसंख्यक एकाग्रता कम है, भाजपा उन सीटों पर तृणमूल से ज्यादा मजबूत स्थिति बना ली है। अगर वामपंथी का वोट भाजपा को जाता है तो इससे उनकी बंगाली मध्यम वर्ग के बीच पकड़ और बढ़ेगी।

गुरुवार को तृणमूल के मुख्य प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी अपनी स्थिति में सुधार करेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार को जो हुआ उसके बाद हम भाजपा को पश्चिम बंगाल में बढ़त नहीं लेने देंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को 34 सीटें मिलीं जबकि भाजपा ने 42 संसदीय क्षेत्रों में से केवल दो सीटों पर जीत हासिल की। तृणमूल बंगाल में 2011 से सत्ता में है। 2014 के लोकसभा चुनाव में वामपंथी का वोट शेयर 30 फीसदी था जबकि भाजपा को 16 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा राज्य की उन नौ सीटें जिस पर ज्यादा संख्या में हिंदी भाषी आबादी वाले समर्थक रहते हैं, अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे वामपंथी, भाजपा को तृणमूल की तुलना में कमतर दुश्मन के रूप में देखते हैं। भजपा को उम्मीद है कि बंगाल में राजनीतिक परिवर्तन का फायदा उसे होगा और इस चुनाव में उसकी संख्या में भी इजाफा होगा।
हाल ही में असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा था कि सही सोच वाले लोग (जो) सीपीएम के हैं, कांग्रेस के हैं और यहां तक ​​कि टीएमसी के हैं… भाजपा को वोट दे रहे हैं… एक राजनीतिक अर्थ में, आप कह सकते हैं कि सीपीएम का वोट भाजपा को हस्तांतरित हो रहा है। माकपा या भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेतृत्व भी जमीनी स्थिति से अवगत है। सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य नीलोत्पल बसु ने कहा कि तृणमूल और भाजपा दोनों वामपंथियों के वोट पाने के लिए प्रचार कर रहे हैं लेकिन तृणमूल इस सिद्धांत पर क्यों रो रही है? यहां तक ​​कि ममता ने कहा कि वामपंथी वोट भाजपा के पास क्यों जा रहा है। सीपीआई (एम) नेता ने कहा कि बंगाल चुनाव में अत्यधिक ध्रुवीकरण हो रहा है। इसकी वजह तृणमूल बनाम भाजपा है और इसलिए हमें कुछ नुकसान है।


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