झारखंड में उलझा गठबंधन का पेंच

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नई दिल्ली, 13 फरवरी(हि.स.)। आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू) यानि आजसू के नेता सुदेश महतो भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा की तीन सीट- रांची, गिरिडीह व हजारीबाग मांग रहे हैं। हालांकि भाजपा उनको एक सीट से अधिक देने को राजी नहीं है। सो वह लोकसभा में एक सीट लेने और दो सीट छोड़ने की स्थिति में, इससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए विधानसभा की अधिक सीटें लेने का माहौल बना रहे हैं। ऐसा इसलिए कि संदेश यह जाए कि आजसू को भाजपा ने तरजीह नहीं दिया तो वह झारखंड विकास मोर्चा तथा वामपंथी दलों के साथ तालमेल करके राज्य में तीसरा मोर्चा बना सकती है।
सूत्रों के मुताबिक आजसू नेता सुदेश महतो गिरिडीह से अपने ससुर को, हजारीबाग से चन्द्र प्रकाश चौधरी को तथा रांची से स्वयं या अपने किसी खास को लड़ाना चाहते हैं। इसके लिए भाजपा से ये तीनों संसदीय सीटें आजसू के लिए छोड़ने की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि आजसू नेता सुदेश महतो, उद्योगपति मुकेश अंबानी के लाइजन का काम देखते रहे और उनके सहयोग से पहले 2008 में, फिर 2014 में झारखंड से राज्यसभा सांसद बने परिमल नाथवानी के जन्मदिन पर 1 फरवरी को दिल्ली गये थे। वहां उनकी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात व बात हुई। लेकिन सुदेश की चाहत अब तक पूरी नहीं हुई, क्योंकि भाजपा झारखंड में उनको न तो लोकसभा न ही विधानसभा की सीटें उनके मांग के मुताबिक देना चाहती है। वरिष्ठ पत्रकार वशिष्ठ नारायण का कहना है यदि सुदेश महतो नहीं झुकते हैं और झारखंड विकास मोर्चा तथा वामपंथी दलों के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बना लेते हैं तो यह गठबंधन राज्य में लोकसभा की लगभग दो सीट निकाल सकता है। आदिवासी वोट के कारण आजसू के सुदेश महतो को झामुमो और उसके नेता से नहीं पटती है। बाबूलाल मरांडी को झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का नेतृत्व मंजूर नहीं है। इसलिए दोनों कांग्रेस, झामुमो, राजद गठबंधन के विरोध में गोलबंद हो रहे हैं। झाविमो नेता बाबूलाल मरांडी की कांग्रेस, झाविमो, राजद गठबंधन में शामिल होने की पहली शर्त है – हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेंगे| किसी को नेता प्रोजेक्ट किये बिना गठबंधन दल राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव लड़े। दूसरी शर्त है- गोड्डा संसदीय सीट पर झाविमो अपना प्रत्याशी खड़ा करेगा, कांग्रेस के लिए नहीं छोड़ेगा। इस तरह सुदेश महतो भाजपा पर और बाबूलाल मरांडी कांग्रेस पर दबाव बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं। यह कि राज्य में तीसरा मोर्चा बनने से होने वाले नुकसान के डर से भाजपा सुदेश महतो को लोकसभा की 3 सीट दे दे और कांग्रेस बाबूलाल मरांडी की पार्टी को साथ रखने के लिए हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की शर्त को ठंडे बस्ते में डाल दे|किसी को नेता प्रोजेक्ट किये बिना गठबंधन चुनाव लड़े। गोड्डा संसदीय सीट झामुमो को दे दे।
इस बारे में झारखंड के पूर्व प्रभारी रहे कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि राज्य के आदिवासी नेता अपने-अपने नेतृत्व को लेकर चिंतित हैं। इसके लिए वे हर तरह का उपक्रम कर रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि यदि राज्य में कांग्रेस, झामुमो, झाविमो, राजद का गठबंधन हो जाता है तब यह गठबंधन राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 9 से 10 सीटें जीत सकता है। भाजपा 4 पर सिमट सकती है। यदि झाविमो इस गठबंधन में शामिल नहीं हुआ और आजसू तथा वामपंथी दलों के साथ मिलकर गठबंधन बना चुनाव लड़ा, तब कांग्रेस, झामुमो, राजद गठबंधन को लगभग 7 सीटें मिल सकती हैं। दो सीटें आजसू, झाविमो, वामपंथी गठबंधन को मिल सकता है।


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