जैश का टॉप कमांडर कामरान पुलवामा हमले का था मास्टरमाइंड
नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। अब्दुल रशीद गाजी उर्फ कामरान आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का वह शीर्ष आतंकवादी है जिसे गत गुरुवार को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। पाकिस्तान में बैठे अपने आका और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर के इशारे पर कामरान ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में उसने जैश के आदिल अहमद डार नामक आतंकी को फिदायीन के रूप में इस्तेमाल किया था। बताया जाता है कि वह मसूद अजहर का सबसे करीबी और भरोसेमंद था।
तालिबान से सीखा था आईईडी बनाना
कामरान का अफगानिस्तान कनेक्शन भी रहा है। उसने आईईडी बनाने और युद्ध लड़ने की अन्य तकनीकें अफगानिस्तान में ऑपरेशन के दौरान ही सीखी थीं। उसी के बाद वह जैश-ए-मोहम्मद का भरोसा जीतने में कामयाब रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संघीय रूप से प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (एफएटीए) और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में उत्तरी एटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सैन्य बलों से लड़ने के बाद कामरान 2011 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) वापस आया। उसके बाद से वह वहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्पों में समय-समय पर देखा गया।
घाटी में दो महीने पहले आया था
मसूद अजहर के भतीजों तल्हा रशीद और उस्मान को सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराने के बाद जब आतंकियों पर शिकंजा कसा जाने लगा तो जैश ने अपने भरोसेमंद और एक्सपर्ट टॉप कमांडर कामरान को दिसम्बर, 2018 में कश्मीर घाटी में भेजा। गौरतलब हो कि उस्मान की हत्या के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने एक बयान जारी कर उसका बदला लेने का ऐलान किया था। मसूद अजहर लंबे समय से बदला लेने की सोच रहा था। जनवरी में इस टॉप जैश कमांडर के पुलवामा में छिपे होने की रिपोर्टें मीडिया में आईं थीं।
पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड था कामरान
अफगानिस्तान में लड़ने और आईईडी बनाने में माहिर कामरान को जम्मू-कश्मीर में हमले की पूरी कार्ययोजना के साथ जैश ने भेजा। कश्मीर में दाखिल होने के बाद कामरान दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, अवंतीपोरा और त्राल इलाके में सक्रिय था। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर पिछले गुरुवार को हुए फिदायीन हमले की योजना भी उसी ने बनाई थी।
अफजल गुरु की बरसी पर विफल हो गई थी साजिश
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की बरसी (9 फरवरी, 2019) पर बड़े पैमाने पर दहशत फैलाने की साजिश रची थी लेकिन सुरक्षा बलों की चौकसी के चलते वे इसे अंजाम देने में नाकामयाब रहे। उसके बाद गुरुवार (14 फरवरी, 2019) को इन्होंने अपनी हमले की साजिश को अंजाम दिया, जब जैश के फिदायीन आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी एक कार को सीआरपीएफ की 78 बसों के काफिले में घुसाकर बस को सीधी टक्कर मार दी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए।
गौरतलब है कि हमले के थोड़ी देर बाद ही जैश-ए-मोहम्मद ने फिदायीन आतंकी अहमद डार का एक वीडियो जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
तालिबान से सीखा था आईईडी बनाना
कामरान का अफगानिस्तान कनेक्शन भी रहा है। उसने आईईडी बनाने और युद्ध लड़ने की अन्य तकनीकें अफगानिस्तान में ऑपरेशन के दौरान ही सीखी थीं। उसी के बाद वह जैश-ए-मोहम्मद का भरोसा जीतने में कामयाब रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संघीय रूप से प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (एफएटीए) और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में उत्तरी एटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सैन्य बलों से लड़ने के बाद कामरान 2011 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) वापस आया। उसके बाद से वह वहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्पों में समय-समय पर देखा गया।
घाटी में दो महीने पहले आया था
मसूद अजहर के भतीजों तल्हा रशीद और उस्मान को सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराने के बाद जब आतंकियों पर शिकंजा कसा जाने लगा तो जैश ने अपने भरोसेमंद और एक्सपर्ट टॉप कमांडर कामरान को दिसम्बर, 2018 में कश्मीर घाटी में भेजा। गौरतलब हो कि उस्मान की हत्या के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने एक बयान जारी कर उसका बदला लेने का ऐलान किया था। मसूद अजहर लंबे समय से बदला लेने की सोच रहा था। जनवरी में इस टॉप जैश कमांडर के पुलवामा में छिपे होने की रिपोर्टें मीडिया में आईं थीं।
पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड था कामरान
अफगानिस्तान में लड़ने और आईईडी बनाने में माहिर कामरान को जम्मू-कश्मीर में हमले की पूरी कार्ययोजना के साथ जैश ने भेजा। कश्मीर में दाखिल होने के बाद कामरान दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, अवंतीपोरा और त्राल इलाके में सक्रिय था। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर पिछले गुरुवार को हुए फिदायीन हमले की योजना भी उसी ने बनाई थी।
अफजल गुरु की बरसी पर विफल हो गई थी साजिश
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की बरसी (9 फरवरी, 2019) पर बड़े पैमाने पर दहशत फैलाने की साजिश रची थी लेकिन सुरक्षा बलों की चौकसी के चलते वे इसे अंजाम देने में नाकामयाब रहे। उसके बाद गुरुवार (14 फरवरी, 2019) को इन्होंने अपनी हमले की साजिश को अंजाम दिया, जब जैश के फिदायीन आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी एक कार को सीआरपीएफ की 78 बसों के काफिले में घुसाकर बस को सीधी टक्कर मार दी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए।
गौरतलब है कि हमले के थोड़ी देर बाद ही जैश-ए-मोहम्मद ने फिदायीन आतंकी अहमद डार का एक वीडियो जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली थी।