जाधव पर जासूसी के आरोप मनगढ़ंत, भारत ने हेग न्यायालय में की तुरंत रिहाई की मांग
नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। भारत ने नीदरलैंड स्थित एक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान में भारत के नागरिक कुलभूषण जाधव की हिरासत को गैरकानूनी घोषित करे और उसे तत्काल रिहा करने का आदेश जारी करे।
भारत ने पाकिस्तान के सैनिक न्यायालय में चले मुकदमे को अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन बताते हुए कहा कि जाधव के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और मनगढ़ंत हैं। आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है तथा पाकिस्तान पूरे मामले का उपयोग दुष्प्रचार करने के लिए कर रहा है।
हेग न्यायालय में जाधव की गिरफ्तारी को लेकर चल रही सुनवाई में भारत का पक्ष रखते हुए जाने-माने अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। यह भी वियना संधि का उल्लंघन है। साल्वे ने कहा कि पड़ोसी देश जाधव पर चले मुकदमे के फैसले तथा उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को भारत के साथ साझा नहीं कर रहा है। पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि पाकिस्तान सच्चाई से मुकर रहा है और दुष्प्रचार के लिए इसका इस्तेमाल कर रहा है। साल्वे ने कहा कि राजनयिक भेंट की सुविधा के बिना जाधव को हिरासत में रखना गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए।
साल्वे ने कहा कि 30 मार्च,2016 से ही भारत पाकिस्तान से मांग कर रहा है कि भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की अनुमति दी जाए। पाकिस्तान ने इस आग्रह और बाद में भेजे गए 13 रिमाइंडरों पर कोई कार्रवाई नहीं की। 19 जून 2017 को भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान के पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिससे पता चले की जाधव किसी आतंकी कार्रवाई में शामिल था।
पाकिस्तान कुलभूषण जाधव के जिस तथाकथित इकबालिया बयान का उल्लेख कर रहा है वह मनगढ़ंत है। साल्वे ने कहा कि 25 दिसंबर,2017 को पाकिस्तान में जाधव के परिवारवालों को उससे मिलने की अनुमति दी गई थी। यह मुलाकात जिन परिस्थितियों में हुई वह बहुत अनुचित और क्षोभ का विषय था। भारत ने इस संबंध में पाकिस्तान से विरोध भी व्यक्त किया था।
साल्वे ने कहा कि एक निर्दोष व्यक्ति तीन साल से यातना झेल रहा है। साल्वे ने राजनयिक भेंट की सुविधा नहीं दिए जाने के लिए द्विपक्षीय समझौते का हवाला दिए जाने को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई भी समझौता वियना संधि के प्रावधानों को अनदेखा नहीं कर सकता।
भारतीय वकील ने कहा कि जाधव की हिरासत सार्वभौमिक अधिकारों का उल्लंघन है। कानून और न्याय का तकाजा है कि जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाएं तो उनका ठोस आधार होना चाहिए और उचित न्याय प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि राजनयिक भेंट की सुविधा नहीं मिलने के कारण भारत को यह पता नहीं चल सका है कि जाधव किस हालत में है। वियना संधि के अनुसार पाकिस्तान को तीन महीने के अंदर राजनीयिक भेंट की सुविधा देनी चाहिए थी। पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। साल्वे ने न्यायिक पीठ से कहा कि विदेशी नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए। इस संबंध में विस्तृत अंतरराष्ट्रीय नियमावली है।
उल्लेखनीय है कि 03 मार्च,2016 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान से कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया गया था। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि जाधव को पाकिस्तानी एजेंसियों ने ईरान से अपहृत किया था। कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जासूसी और आतंकवादी घटनाओं के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में एक सैन्य अदालत में उस पर मुकदमा चलाया गया था, जिसमें उसे अप्रैल-2017 में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। भारत ने सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में गुहार की थी जिसके बाद सजा पर रोक लगा दी गई थी।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चल रही अंतिम सुनवाई के दौरान भारत ने आज(सोमवार को) अपना पक्ष रखा। मंगलवार को पाकिस्तान अपनी दलील पेश करेगा। भारत को 20 फरवरी को पाकिस्तान की दलीलों का जवाब देने का मौका मिलेगा। अगले दिन इस्लामाबाद सुनवाई के अंतिम दिन अपना पक्ष रखेगा। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की 10 सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
हरीष साल्वे की ओर से दलील पेश किए जाने से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (विधि) दीपक मित्तल ने कहा कि पाकिस्तान एक निर्दोष भारतीय नागरिक के अधिकारों का हनन कर रहा है। आग्रह किया कि वह जाधव के साथ न्याय करे।