जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: रंगारंग कार्यक्रम के साथ साहित्य का महाकुंभ शुरु

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जयपुर, 10 मार्च (हि.स.)। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 15वें संस्करण का ऑनग्राउंड आयोजन गुरुवार को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ शुरु हुआ। यह फेस्टिवल होटल क्लार्क्स आमेर में 14 मार्च तक आयोजित होगा। इस वर्ष जेएलएफ 2022 का डेकोर थीम ‘फेस्टिव- कलर्स ऑफ राजस्थान’ है। लिटरेरी सेशंस के साथ-साथ म्यूजिक स्टेज का आयोजन भी यहीं होगा। फेस्टिवल में इस साल 15 भारतीय भाषाएं शामिल होंगी, वहीं इस वर्ष चार नोबेल पुरस्कार विजेता समेत बुकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अनेक प्रतिष्ठित लेखकों समेत देश विदेश के चार सौ स्पीकर्स हिस्सा ले रहे हैं। इस साल के प्रोग्राम में साहित्य के विभिन्न पहलुओं के साथ ही, यूक्रेन-रूस विवाद, जलवायु परिवर्तन, न्यू वर्ल्ड ऑर्डर, फिक्शन की कला, काव्य, यात्रा, विज्ञान, इतिहास आदि पर भी फोकस रहेगा।

योगा, मेडिटेशन, शास्त्रीय गायन और ढोल नगाडों की थाप के बीच हुए उद्घाटन कार्यक्रम में प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, प्रसिद्ध लेखक और फेस्टिवल डायरेक्टर्स नमिता गोखले और विलियम डेलरिम्पल और टीमवर्क आर्ट्स के एमडी संजय रॉय के साथ मुख्य वक्ता प्रसिद्ध अनुवादक हरीश त्रिवेदी और यूएस डिप्लोमैट और यूएन रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर इन इंडिया शोम्बी शार्प मौजूद रहे।

उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा की जेएलएफ देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखता है, जो साहित्य के साथ साथ राजस्थान के कल्चर और पर्यटन को भी बढ़ाता है। इस महोत्सव से राजस्थान के पर्यटन को नई रफ्तार भी मिलेगी। इस मौके पर उन्होंने पर्यटन सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया और कहा कि यह राजस्थान के पर्यटन के लिए सबसे बड़ी सौगात है, यह मांग दो दशक से भी लंबे समय से पेंडिंग थी, अब सीएम गहलोत ने इस सेक्टर की बड़ी मांग को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कोविड काल में पर्यटन उद्योग बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ था, अब देश में पहली बार राजस्थान द्वारा नई पर्यटन नीति लागू करने और पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने के बाद कोरोना प्रभावित इस क्षेत्र को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार ने पहली बार पर्यटन को एक हजार करोड़ रुपये का बजट दिया है इससे पर्यटन क्षेत्र को संबल मिलेगा।

मुख्य वक्ता प्रसिद्ध अनुवादक और अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे हरीश त्रिवेदी ने अनुवाद और साहित्य पर अपने की नोट वक्तव्य में कहा कि जीवन एक ऐसी भाषा है, जिसे हम नहीं जान सकते, लेकिन साहित्य एक ऐसी भाषा है जिसे हम जान सकते हैं, पढ सकते हैं। भाषा और साहित्य को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने कहा कि एक लीडर का रीडर होना बहुत जरूरी है

यूएस डिप्लोमैट और यूएन रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर इन इंडिया शोम्बी शार्प ने पर्यावरण संरक्षण और क्लाइमेट चेंज पर जोर देते हुए कहा कि यह बहुत कठिन समय है जब हम को कोरोना काल से निकलकर नए सिरे से जिंदगी शुरु कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि भारत में अन्य चुनौतियों के साथ-साथ बढ़ता तापमान और प्रदूषण एक बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत कार्यक्रम एक नई उम्मीद पैदा कर रहे हैं। उन्होंने ग्रीन एनर्जी क्लीन एनर्जी का नारा देते हुए कहा कि अब भारत इस क्षेत्र में लीडिंग फोर्स बनने की ओर अग्रसर है।

इस साल राजस्थानी विरासत और संस्कृति पर आधारित कई विशेष सत्र भी फेस्टिवल का हिस्सा बनेंगे। इन सेशंस के दौरान राजस्थान और गुलाबी नगरी की महत्ता पर भी चर्चा की जाएगी। फेस्टिवल में ऐसे कई सत्र होंगे, जहां राजस्थान की अनेक भाषाओं और बोलियों पर चर्चा होगी।


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