जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के मौलानाओं से सीख लें सनातन के धर्मगुरुः नरसिंहानंद सरस्वती

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हरिद्वार,19 फरवरी (हि.स.)। जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई के इंतजार में सर्वानंद घाट पर बैठे जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि और स्वामी अमृतानंद महाराज ने अहमदाबाद बम कांड के 38 दोषियों को मृत्युदंड और 11 को आजीवन कारावास की सजा पर संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने न्यायाधीश को साहस और कर्तव्यनिष्ठा के लिए साधुवाद दिया है। उन्होंने इस निर्णय को अब तक इस्लामिक जिहादियों के हाथों से मारे गए निर्दोष हिन्दुओं और उनके परिवारजनों के जख्मों पर मरहम लगाने वाला बताया।
इन दोषी जिहादियों के मुकदमे लड़ने की जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के मौलानाओं की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा कि भारत सरकार को जमीयत उलेमा-ए-हिन्द को आतंकवादी संगठन घोषित करके इसके कर्ता-धर्ताओं को जेल भेजना चाहिये। जमीयत उलेमा-ए- हिन्द पूरे दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम धर्मगुरुओं का संगठन है। यह संगठन भारत में आतंकवादी घटना करने वाले हर जिहादी का मुकदमा लड़ता है और अपने राजनैतिक संबंधों, अपने गुंडों की ताकत और धनबल का प्रयोग करके न्यायपालिका की कमजोरियों का लाभ उठाते हुए ज्यादातर जिहादियों को सजा से बचा लेता है।
उन्होंने हिन्दू समाज के धर्मगुरुओं से इनसे कुछ शिक्षा लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि एक ओर इस्लामिक धर्मगुरु हैं जो हत्याराें की पैरवी भी खुल कर करते हैं और दूसरी ओर हमारे धर्मगुरु हैं जो कभी भी संघर्ष करने वाले हिन्दुओं की कोई सहायता नहीं करते। आज हिन्दुओं के बड़े-बड़े धर्मगुरु अपने मंचों पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के मौलानाओं को बुलाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। उन्होंने हिन्दू समाज से ऐसे धर्मगुरुओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया।
अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान के अध्यक्ष नीरज त्यागी, महामंत्री अक्षय त्यागी, कार्यवाहक अध्यक्ष मुकेश त्यागी, उपाध्यक्ष संजय त्यागी व नरेंद्र त्यागी ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का समर्थन किया।


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