…जब राजा बनारस की सलाह पर नेहरु ने ‘पंडितजी’ को बनाया था पहला केंद्रीय मंत्री
भदोही, 30 अप्रैल (हि.स.)। देश में जब रियासतों का दौर था तो राजघराने होते थे। अब राजनीति का दौर है तो सियासी घराने हैं। मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान अगर पूर्वांचल की राजनीति में दो सियासी घरानों की चर्चा न की जाय तो यह राजनीतिक इतिहास और विकास के साथ नाइंसाफी होगी।
यूपी की पूर्वांचल राजनीति में दो घराने अहम रखते हैं, इनमें एक काशी का औरंगाबाद हाउस और दूसरा भदोही का काशी सदन। औरंगाबाद हाउस का नाम पंडित कमलापति त्रिपाठी से जुड़ा है जो जननायक थे जबकि काशी सदन का नाम पंडित श्यामधर मिश्र से जुड़ा है जो स्वाधीन भारत की राजनीति में बगैर चुनाव जीते राज्यसभा सदस्य के 27 साल तक नेहरु मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री रहे। काशी स्टेट के राजा बनारस की सलाह पर पंडित श्यामधर मिश्र को पंडित नेहरु ने आजाद भारत के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया था।
कांग्रेस की नेहरु सरकार में पहले मंत्री बने पंडित जी
काशी सदन की राजनीतिक विरासत संभाले कांग्रेस नेता सिद्धार्थ मिश्र ने बताया कि आजाद भारत के संसदीय इतिहास में 1952 में जब पहली सरकार बनी और पंडित नेहरु प्रधानमंत्री चुने गए। पंडित नेहरु ने राजा बनारस से मुलाकात होने पर मंत्रिमंडल में पूर्वांचल से स्थान देने के लिए कोई नाम सुझाने को कहा। इसके बाद महाराजा ने अपने भदोही स्टेट के युवा तुर्क नेता पंडित श्यामधर मिश्र का नाम सुझाया। फिर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने उन्हें केंद्रीय स्वाीधन भारत के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में सिंचाई मंत्री बनाया। पंडित श्यामधर मिश्र ने प्रथम पंचवर्षीय योजना में भदोही में 400 सरकारी नलकूप लगवाये। उस समय भदोही वाराणसी का अंग था। भदोही राजा काशी नरेश का एक स्टेट हुआ करता था। यहां कचहरी लगती थी। भदोही में उसकी निशानियां आज भी कायम हैं। उस समय पंडित नेहरु के पास गृह, राजस्व और रक्षा मंत्रालय था। भदोही के विकास में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। मिर्जापुर में गंगा नदी पर बना शास्त्री सेतु, औराई में चीनी मिल, गोपीगंज में कम्बल मिल, भदोही इंदिरा उलेन मिल पंडित श्यामधर मिश्र की देन थी। इसलिए उन्हें विकास पुरुष के नाम से जाना जाता था।
पंडित जी ने जब छोड़ा इंदिरा कांग्रेस का साथ
भदोही की राजनीति में आज कांग्रेस भले हाशिए पर हो लेकिन काशी सदन यानी कठौता सियासी घराने का योगदान कांग्रेस में आज भी अहम है। हाल में पूर्वांचल की बोट यात्रा पर आईं प्रियंका गांधी थोड़े समय के लिए काशी सदन पहुंचीं थीं और पंडित जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया था। भदोही की कांग्रेस राजनीति में इस परिवार की खासी भूमिका है। जब तक पंडित श्यामधर मिश्र राजनीति में रहे, उन्होंने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को राजनीति में नहीं आने दिया। वह कहते थे कि अगर हमारी राजनीतिक सक्रियता के दौरान अगर कोई राजनीति में आया तो मुझ पर परिवारवाद बढ़ाने का आरोप लगेगा। पंडित श्यामधर मिश्र के कहने पर उनके भाई गुलाबधर मिश्र जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे।सिद्धार्थ के अनुसार 27 साल तक केंद्रीय मंत्री रहने के बाद जब इंदिरा कांग्रेस में बगावत हुई तो पंडित जी अर्श कांग्रेस में चले गए लेकिन बाद में वह इंदिरा जी कहने पर कांग्रेस में वापस लौट आए।
1962 में पंडित श्यामधर कांग्रेस के टिकट पर मिर्जापुर-भदोही सीट से सांसद चुने गए। पूर्वांचल की राजनीति में भदोही के काशी सदन का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। हालांकि इस समय कांग्रेस यूपी और भदोही में हाशिए पर है, लेकिन पार्टी की राजनीति में इस परिवार का आज भी दबदबा कायम है। डा. नीलम मिश्रा पार्टी की जिलाध्यक्ष हैं। इसके पूर्व उनके पति रत्नेश मिश्र पार्टी के जिलाध्यक्ष थे, लेकिन वह अब इस दुनिया में नहीं है। पंडित श्यामधर मिश्र के जाने के बाद काशी सदन और उनका परिवार इस विरासत को बखूबी संभाल रहा है। काशी सदन के स्मृति उपवन में पंडित जी से जुड़ी यादों को सहेजा जा सकता है।