…जब राजमाता ने इंदिरा गांधी को उनके घर में दी थी चुनौती
रायबरेली, 02 अप्रैल (हि.स.)। रायबरेली के चुनावी इतिहास में 1980 का लोकसभा चुनाव ऐसा रहा है कि जब मध्य प्रदेश की राजमाता ने उस समय देश की शक्तिशाली नेता इंदिरा गांधी को उनके घर में ही चुनौती दे डाली थी। संगठन के प्रति निष्ठा कहें या विचारधारा के प्रति समर्पण कि पार्टी के एक निर्देश पर राजमाता विजया राजे सिंधिया अपने मजबूत गढ़ को छोड़कर रायबरेली आ गई।
देश के लोकतांत्रिक इतिहास के सर्वाधिक रोचक इस चुनाव में एक तरफ आपातकाल के खिलाफ मुखर होने पर जेल जाने वाली राजमाता विजया राजे सिंधिया थीं तो दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। रायबरेली में अब तक के इतिहास में पहली बार दो महिलाओं का आमना-सामना हुआ था। इस चुनाव में हालांकि राजमाता को हार मिली लेकिन अभी भी लोगों के जेहन में इस चुनाव से जुड़ीं कई रोचक यादें ताजा है।
राजमाता के चुनाव संचालक रहे गिरीश नारायण पांडेय ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से अपनी यादें साझा करते हुए बताया कि राजमाता का व्यक्तित्व बहुत शालीन था। कार्यकर्ताओं से मिलने जुलने के दौरान वह घुल-मिल जाती थी। चुनाव प्रचार के दौरान गांवों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर भोजन करना और उनका हाल-चाल लेना उनकी दिनचर्या में शुमार था।चुनाव प्रचार के दौरान की एक घटना का ज़िक्र करते हुए गिरीश नारायण पांडेय बताते हैं कि कांग्रेस के प्रचार वाहनों में रजाई, गद्दे व गेहूं की बोरियां वोटरों को बांटने के लिए भेजी जाती थी जिसे पकड़ने के लिए हमारे कार्यकर्ता रात रात भर जागते थे। एक बार लालगंज में जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इन गाड़ियों को पकड़ लिया था।
इंदिरा गांधी के चुनाव प्रचार की एक घटना का जिक्र करते हुए बुजुर्ग रविन्द्र सिंह चौहान बताते हैं कि इंदिरा गांधी लोगों से खुलकर मिलती थी। एक बार लालगंज में मिलने के दौरान विपक्षियों ने एक बच्चे से एक कागज पर इंदिरा गांधी का बना कार्टून उनको दिला दिया। उस दौरान इंदिरा बहुत गुस्सा हुईं, उन्होंने कुछ कहा तो नहीं लेकिन गुस्से से उनका चेहरा लाल हो गया था। कागज को उन्होंने अपने हाथ से टुकड़े-टुकड़े करके फेंक दिए। इस तरह राजमाता के बारे में यह प्रचार हो गया कि ग्वालियर से वह काफी पैसा लेकर आईं हैं। वरिष्ठ पत्रकार केबी सिंह के अनुसार इसी चक्कर में सरेनी में उनकी गाड़ी से एक अटैची भी गायब हो गई थी।
दो विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करती इन कद्दावर इन महिला नेत्रियों के चुनाव के कई किस्से आज भी रायबरेली के गांवों और मोहल्लों में लोगों की जुबान पर हैं। विजया राजे चुनाव हारने के बाद भी यहां के कार्यकर्ताओं से संपर्क में रही, जबकि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतकर जनता पार्टी से अपनी हार का बदला ले लिया। चुनाव में भले ही एक पक्ष की जीत और दूसरे की हार होती है लेकिन 1980 का यह चुनाव हार-जीत से नहीं बल्कि विचारधाराओं, महत्वपूर्ण हस्तियों और स्वस्थ परम्पराओं के कारण भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में हमेशा दर्ज रहेगा।