जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर मुखर हुए सांसद
नई दिल्ली, 28 दिसम्बर (हि.स.)। देश में बढ़ती जनसंख्या की चिंता अब सांसदों को भी परेशान करने लगी है। इसीलिए कुछ सांसदों ने प्राइवेट मेंबर बिल के तहत जनसंख्या पर रोक के लिए बिल लाने और कानून बनाने की मांग की है। उन्हीं सांसदों को टैकसेब यानि टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत(टैक्सेब) ने एक मंच पर आमंत्रित कर चर्चा का आयोजन किया। इन सांसदों में संजीव बलियान, प्रह्लाद पटेल, राजेश रंजन, राजेश पांडेय, सांसद राघव रामलखन शामिल हुए। कार्यक्रम में देश की सौ करोड़वी बच्ची ने भी जनसंख्या बढ़ोत्तरी के नुकसानों को बताया।
चर्चा की शुरुआत टैक्सेब के अध्यक्ष मनु गौर ने बिल लाने के लिए सांसदों के धन्यवाद से की। मनु गौर ने कहा कि टैक्सेब पिछले पांच सालों से इसके लिए प्रयास कर रहा था।
सांसद संजीव बालियान ने कहा कि उन्होंने लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी एक बिल लाने के के लिए स्पीकर को पत्र दिया है ताकि सभी को सुविधा मिल सके। जिसकी भी संख्या ज्यादा होगी उसे ही कम सुविधा मिलेगी।
कार्यक्रम में प्रह्लाद पटेल सांसद ने कहा कि सभी को मंथन करना होगा कि जनसंख्या कैसे कम हो।
सांसद राजेश रंजन ने कहा कि देश में विकास रुक गया है। उन्होंने कहा कि चमत्कार को नमस्कार नहीं होना चाहिए। ईश्वर को ढूंढना बंद होने का समय है। शिक्षा का स्तर बढ़ाने का समय आ गया है।
लोकसभा सांसद राघव रामलखन ने बताया कि उन्होंने संसद में नई जनसंख्या नीति बनाने की बात कई बार की है। यह सही है कि जिसके दो बच्चों से ज्यादा हो उसे सरकारी सुविधा नहीं मिलनी चाहिए।
सांसद राजेश पांडेय ने कहा कि बंटवारे के समय देश की आबादी 33 करोड़ थी, आज 140 करोड़ पहुंच गई है। कोई बुद्धिजीवी इस औसत से बढ़ी आबादी को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत चीन की नीति की तुलना नहीं कर सकता। कार्यक्रम के समापन पर देश की सौ करोड़वी बच्ची आस्था, जो अब 18 साल की हो गई है, ने भी बढ़ती जनसंख्या के नुकसानों के बारे में बताया।