जनजातीय क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए राजभवन में “जनजातीय परिवर्तन एकक” का गठन
जयपुर, 9 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि प्रदेश में जनजातीय क्षेत्र के निवासियों के कल्याण के लिए केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र की समस्याओं को चिन्हित कर विकास को गति देने के लिए राजभवन स्तर पर “जनजातीय परिवर्तन एकक” का गठन किया गया है।
राज्यपाल मिश्र राज्यपाल सलाहकार मण्डल की ऑनलाइन बैठक के बाद बुधवार को यहां राजभवन से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र के लोगों के सर्वांगीण विकास की योजनाओं को लागू करने के बारे में इस क्षेत्र के जिला कलेक्टरों को परिपत्र के माध्यम से अवगत भी कराया जाएगा।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि राज्यपाल का पद राज्य के संवैधानिक प्रमुख भर का ही नहीं है बल्कि वह मार्गदर्शन और संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का कार्य भी विशेष रूप से करता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए वहां के युवाओं के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही, वहां की परम्परा और संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य के समग्र विकास में राजभवन प्रभावी भूमिका निभाए, इस उद्देश्य से सुझाव एवं परामर्श प्रदान करने के लिए सलाहकार मण्डल का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि सलाहकार मण्डल की अनुशंषाओं को आगे की कार्यवाही के लिए प्रमुख सचिव, राज्यपाल की अध्यक्षता में गठित “जनजातीय परिवर्तन एकक” और राज्य सरकार के सम्बंधित विभागों को भिजवाया जाएगा।
बैठक के दौरान राज्यपाल सलाहकार मण्डल के सदस्यों द्वारा राज्य को बाल-विवाह मुक्त बनाने, बालिका अनिवार्य शिक्षा, जनजातीय क्षेत्र में मातृ एवं शिशु मृत्यु-दर को राष्ट्रीय औसत के स्तर तक लाने, सीएसआर उत्तरदायित्व, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण, असंक्रामक रोगों की रोकथाम एवं रोजगार मेलों के आयोजन पर सुझाव दिए गए।
सलाहकार मण्डल के सदस्य प्रो. ए.के. गहलोत ने अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र में पशुपालन आधारित स्वरोजगारोन्मुखी कार्यक्रम की संभावनाएं तलाशे जाने का सुझाव दिया। उन्होंने जनजातीय क्षेत्र में असंक्रामक एवं जीवन शैली से जुड़े रोगों की रोकथाम एवं बचाव के बारे में जागरूकता लाने पर भी बल दिया।
विश्वपति त्रिवेदी ने जनजातीय क्षेत्र के आईटीआई विद्यार्थियों को लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में रोजगार के लिए प्रशिक्षित किए जाने पर बल दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रति वर्ष डेढ़ लाख नए रोजगार सृजित होने का अनुमान व्यक्त किया।
आर.एन. माथुर ने कहा कि अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के कल्याण के लिए केन्द्र सरकार की वनधन योजना, एकलव्य योजना, वनबन्धु कल्याण योजना सहित जो योजनाएं राज्य में संचालित नहीं की जा रही हैं, उन्हें लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं को लागू करने से राज्य को केन्द्र के समेकित कोष में से जनजातीय क्षेत्र के विकास के लिए धनराशि प्राप्त हो सकेगी।
डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण के साथ-साथ उनका प्रभावी क्रियान्वयन भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र के युवक-युवतियों को स्वास्थ्य कल्याण से जुड़े विशेष प्रशिक्षण प्रदान किए जाएं।
विवेक सिंह ने जनजातीय क्षेत्र में वंचित वर्ग के युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिए सीएसआर सहयोग से मोबाइल वैन संचालित किए जाने का सुझाव दिया। डॉ. मनोरंजन शर्मा ने अपने प्रस्तुतीकरण में प्रदेश के सर्वांगीण विकास में प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग पर बल दिया। टी. मुरलीधरन ने प्रदेश के युवा स्नातकों को रोजगार योग्य बनाने के लिए सभी विश्वविद्यालयों में डिजिटल नियोजकता केन्द्र बनाए जाने का सुझाव दिया।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने पर्यटन स्थलों तक परिवहन सम्पर्क सुधारने और ग्रामीण क्षेत्रों में छुपी पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करने पर बल दिया।