चूड़ी पहन लो और विधवा विलाप जैसे शब्दों का सदन में इस्तेमाल बंद हो : पूर्णिमा नीरज सिंह

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रांची, 11 मार्च (हि.स.)। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दसवें दिन शुक्रवार को विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं चाहिए। महिलाओं को अवसर चाहिए। सदन के अंदर चूड़ी पहन लो, लड़की की तरह मत रोओ और विधवा विलाप जैसे शब्द का इस्तेमाल बंद हो। यह महिला सम्मान के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि मैं यह उम्मीद करती हूं कि विधानसभा अध्यक्ष आप सदन के अंदर भी ऐसे शब्दों के प्रयोग पर पाबंदी लगाएंगे। यह मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है। वह सदन के अंदर महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के अनुदान मांग पर विपक्ष के कटौती प्रस्ताव के विरोध में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए मेंटल हेल्थ एक बड़ा इश्यू है। इसके समाधान के लिए भी सरकार को काम करने की जरूरत है।
पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि महिलाएं सशक्त हों, इसके लिए इन्हें कानूनी सलाह दिलाने में सरकार मदद करे। क्योंकि, कानूनी सलाह नहीं मिल पाने की वजह से वह अपने अधिकार के बारे में जान तक नहीं पाती हैं। इसके बगैर महिलाएं सशक्त नहीं हो पाएंगी।
पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि एनसीआरबी की डाटा के अनुसार महिलाओं के मामले में स्थिति ठीक नहीं है। ज्यादातर मामलों में चार्जशीट भी नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि मेरी यह मांग है कि सभी थानों में महिला आरक्षी की नियुक्ति की जाय, ताकि महिलाओं के मामलों का संवेदनशीलता के साथ समाधान हो।
उन्होंने कहा कि पैदा होने के साथ ही महिलाओं को संघर्ष शुरू हो जाता है। रंगभेद से भी ज्यादा खतरनाक जेंडर डिस्क्रिमिनेशन है। महिला साक्षरता दर राज्य में महज 40 प्रतिशत है, जो की ठीक नहीं है। इसे बढ़ाने पर जोर दिया जाय। सदन में 12 प्रतिशत महिलाएं हैं, यह अच्छी बात है। यह और बढ़े हमारा फोकस इसपर होनी चाहिए।


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