चुनाव आते ही दल-बदलुओं में स्वार्थसिद्धि की लगी होड़
– झांसी में भी दल-बदलने वालों का है लंबा इतिहास
झांसी,18 जनवरी (हि.स.)। एक समय था जब लोगों की पीढियां एक ही दल की विचारधारा से जानी जाती थी। आज विधानसभा चुनाव 2022 की रणभेरी बजने के साथ ही नेताओं द्वारा स्वार्थसिद्धि के लिए पार्टी बदलने की होड़ चल रही है।
बुन्देलखण्ड समेत प्रदेश में कांग्रेस के तमाम दिग्गजों ने आदर्श आचार संहिता लागू होने के पूर्व ही हाथ का साथ छोड़ साइकिल का सहारा लिया तो चंद रोज पूर्व भाजपा के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दो मंत्रियों और 07 विधायकों ने भाजपा छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल होने में अपना भला समझा। सपा के भी कई एमएलसी व पूर्व विधायकों समेत अन्य पार्टियों से भी नेताओं के दूसरे दलों में जाने की खबर लगातार सामने आ रही हैं। झांसी में भी ऐसे नेताओं की लंबी सूची है जिन्होंने समय समय पर सत्ता का सुख भोगने के लिए पार्टियां बदली। जानकार बताते हैं कि यह ठीक वैसे ही है जैसे बरसात में आई बाढ़ के कारण एक ही पेड़ पर सभी दुश्मन जीव-जंतु तक आश्रय तलाशते हैं और बाढ़ का पानी उतरने पर वापस अपनी पूर्व स्थिति में आ जाते हैं।
बीते रोज मऊरानीपुर विधानसभा क्षेत्र की पूर्व कद्दावर विधायक डॉ. रश्मि आर्या ने सपा छोड़ भाजपा का दामन थामा है। रश्मि के परिवार में सपा सरकार में कई पद रहे हैं। हालांकि उन्होंने इसके संकेत बहुत पहले ही दे दिए थे। और इसी के चलते सपा ने बसपा से आए पूर्व एमएलसी पर विश्वास जताना भी शुरू कर दिया था। भाजपा में शामिल होने के बाद सभी दलों में उथल पुथल मची हुई है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें भाजपा से उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है।
दल-बदलने में रतन की स्पीड ने दी सबको मात
दल-बदलने की स्पीड में रतनलाल अहिरवार का कोई सानी नहीं है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत भाजपा से की थी। पार्टी के टिकट पर वे बबीना से विधायक भी चुने गए। बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया और एक बार फिरसे विधायक बने। साइकिल की सवारी उन्हें लंबे समय रास नहीं आई और एक बार फिर जा पहुंचे हाथी की सवारी करने। बसपा के टिकट पर भी वे बबीना विधानसभा का चुनाव जीते और मायावती ने तो उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया था। लेकिन, हाथी पर भी उन्हें लंबे समय तक बैठना रास नहीं आया और वह एक बार फिर वे अपनी पुरानी पार्टी भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के साथ भी उनका ज्यादा समय तक रिश्ता चला नहीं और एक बार फिर बसपा में शामिल हो गए। वर्तमान में रतनलाल बसपा में हैं और उनके बेटे रोहित रतन को मऊरानीपुर विधानसभा सीट से बसपा का प्रत्याशी बनाया गया है।
पूर्व एमएलसी हाथी छोड़ चला रहे साइकिल
एक समय तक बसपा के कद्दावर नेताओं में शुमार और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी माने जाने वाले पूर्व एमएलसी तिलक चंद्र अहिरवार भी अब साइकिल चलाने लगे हैं। बसपा छोड़ सपा का दामन थामने के पुरस्कार के रूप में उन्हें सपा का प्रदेश महासचिव भी बनाया गया है। अब वह मऊरानीपुर विधानसभा सीट के सशक्त दावेदार मने जा रहे हैं। रही सही कसर सपा की पूर्व विधायक डॉ. रश्मि आर्या ने भाजपा में शामिल होकर पूरी कर दी है।
ऐसे ही एक और नेता हैं बबीना के पूर्व विधायक सतीश जतारिया जो पिछले दिनों अखिलेश यादव के समक्ष सपा में शामिल हो गए थे। सतीश बसपा से बबीना से विधायक चुने गए थे। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले वो सपाई हो गए हैं।
सपा की रमा भाजपा के कमल पर सवार
पार्टी छोड़ने में महिला नेता भी पीछे नहीं हैं। झांसी की जानी मानी महिला नेता और वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य रमा निरंजन भी पार्टी बदल चुकी है। वह विधान परिषद सदस्य चुन्नी तो गई थी समाजवादी पार्टी के कोटे से लेकिन हाल ही में उन्होंने भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। ऐसे ही बबीना से बसपा के टिकट पर विधायक रहे कृष्णपाल राजपूत ने भी हाथी से उतारे जाने के बाद कमल थाम लिया है। बात अगर मऊरानीपुर सीट की करें तो मौजूदा विधायक बिहारीलाल आर्य ने पिछले चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का कमल पकड़ लिया था। फिल्हाल उनके वापस कांग्रेसी होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
बसपा के महाराज अब कांग्रेसी
बृजेंद्र व्यास यानी कि डम डम महाराज ने बसपा के टिकट पर गरौठा से विधानसभा का चुनाव जीता था। लेकिन, इसके बाद भी झांसी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े। चुनाव के बाद उनकी फिर से बसपा में वापसी हो गई थी। महापौर का पिछला चुनाव उन्होंने हाथी चुनाव चिन्ह के साथ लड़ा था। वर्तमान में वे कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे हैं लेकिन उनके भाजपा में जाने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।