गोवाः भाजपा को झटका, मनोहर पार्रिकर के बेटे ने पार्टी छोड़ी, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे चुनाव

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नई दिल्ली/ पणजी, 22 जनवरी (हि.स.)। देश के पूर्व रक्षा मंत्री और लंबे समय तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पार्रिकर के पुत्र उत्पल पार्रिकर ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनावड़े को अपना इस्तीफा भेजा। उत्पल पार्रिकर पणजी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, जिन्हें शिवसेना, आम आदमी पार्टी जैसे कुछ दूसरे दलों का समर्थन मिल सकता है। गोवा विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को मतदान होना है और 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे।

गोवा में अरसे तक भाजपा का चेहरा रहे देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर का लंबी बीमारी के बाद मार्च 2019 में निधन हो गया था। जिसके बाद उनके 40 वर्षीय पुत्र उत्पल पार्रिकर ने खुद को मनोहर पार्रिकर की राजनीतिक विरासत का हकदार बताते हुए 2019 के उपचुनाव के लिए पणजी सीट से पार्टी टिकट की मांग की थी।

पणजी सीट पर हमेशा से भाजपा का दबदबा रहा है और 1994 से ही भाजपा इस सीट पर जीतती रही है। मनोहर पार्रिकर ने यहां से कुल पांच बार जीत हासिल की। हालांकि मनोहर पार्रिकर के निधन के बाद उपचुनाव के लिए भाजपा ने उनके पुत्र उत्पल पार्रिकर को टिकट नहीं दिया।

पणजी का चुनावी दंगल

उत्पल पार्रिकर के भाजपा छोड़ने की पटकथा गुरुवार को तब पूरी हो गई जब भाजपा ने गोवा विधानसभा चुनाव के लिए 40 में से 34 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। इस सूची में उत्पल पार्रिकर का नाम नहीं था। उत्पल पार्रिकर पार्टी से पणजी सीट से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन पार्टी ने मौजूदा विधायक अतनासियो मोंटेसेरेट पर ही भरोसा जताया। पार्टी ने मोंटेसेरेट की धर्मपत्नी को भी तालेगांव विधासभा सीट से टिकट दिया है।

गुरुवार को भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उत्पल पार्रिकर ने आखिरकार उन कयासों को सही साबित कर दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि वे जल्द ही पार्टी छोड़ने वाले हैं।

पहले से थी पार्टी छोड़ने की सुगबुगाहट थी

राज्य में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होते ही उत्पल पार्रिकर ने अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया था। वे पणजी सीट से इसबार भाजपा के टिकट की दावेदारी कर रहे थे। हालांकि भाजपा के लिए भी ऐसा करना संभव नहीं था क्योंकि मौजूदा विधायक का टिकट काटना न्यायोचित नहीं था। पार्रिकर के निधन के बाद हुए उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मोंटेसेरेट ने भाजपा उम्मीदवार सिद्धार्थ कुंकोलेंकर को 1758 मतों से पराजित कर दिया था।

ऐसे में उत्पल पार्रिकर के भाजपा छोड़ने के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे। कुछ समय पूर्व शिवसेना और आम आदमी पार्टी ने उत्पल पार्रिकर को पार्टी उम्मीदवार बनाने की पेशकश की थी। शिवसेना की तरफ से यहां तक कहा गया है कि अगर उत्पल पार्रिकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरते हैं तो गैर भाजपा दलों को उनके समर्थन में अपना उम्मीदवार नहीं उतारना चाहिए।


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