गोगोई के पास 8 दिन का वक्त और पांच अहम मामले

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सुप्रीम कोर्ट दीपावली के अवकाश के बाद चार नवम्बर को खुलेगा। चार नवम्बर से 17 नवम्बर के बीच आठ ही कार्य दिवस बचेंगे, जिसमें चीफ जस्टिस को फैसले सुनाने हैं।



नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (हि.स.)। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने के पहले आठ कार्य दिवस बचे हैं। सुप्रीम कोर्ट दीपावली के अवकाश के बाद चार नवम्बर को खुलेगा। चार नवम्बर से 17 नवम्बर के बीच आठ ही कार्य दिवस बचेंगे, जिसमें चीफ जस्टिस को फैसले सुनाने हैं। इन आठ कार्य दिवसों में चीफ जस्टिस को पांच महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला सुनाना है।

चीफ जस्टिस को जिन महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला सुनाना है, उनमें सबसे महत्वपूर्ण है अयोध्या मामला। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने पिछले 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस संविधान बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोब्डे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नजीर, और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

अयोध्या के बाद चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच को राफेल मामले पर दायर रिव्यू पिटीशन पर भी फैसला सुनाना है। पिछले 10 मई को रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं। इस मामले पर सुनवाई के दौरान जहां याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने फ्रांस के साथ हुए विमान सौदे को संदेहास्पद बताते हुए जांच की मांग की। वहीं केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। इसलिए दिसंबर में आया फैसला बदलने की जरुरत नहीं है।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले पर दायर 64 रिव्यू पिटीशंस पर भी फैसला सुनाना है। पिछले छह फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशंस पर फैसला सुरक्षित रख लिय़ा था। सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं।

चीफ जस्टिस के दफ्तर को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने के मसले पर भी इन्हीं आठ कार्य दिवसों में फैसला सुनाया जाएगा। पिछले चार अप्रैल को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन मामलों के अलावा भी कुछ मामले हैं, जिन पर चीफ जस्टिस को अपने रिटायर होने के पहले फैसला सुनाना है।

 


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