गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिला ने कहा, ‘नहीं मिला न्याय’

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नई दिल्ली, 07 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिला ने कहा है कि भारत की एक महिला नागरिक के रूप में उसके साथ घोर अन्याय हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति द्वारा महिला की यौन उत्पीड़न संबंधी शिकायत खारिज किए जाने के बाद उस अनाम महिला ने एक वक्तव्य में कहा कि वह न्यायालय के आतंरिक समिति के फैसले से बहुत निराश है तथा इंसाफ पर से उसका भरोसा डगमगा रहा है। उसने कहा कि वह अपने वकीलों से बात कर अपना अगला कदम तय करेगी। महिला ने कहा कि इस समय वह बहुत डरी हुई और आतंकित है। आंतरिक समिति के समक्ष उसके द्वारा सभी बातें रखे जाने के बावजूद उसके साथ न्याय नहीं हुआ, उसे संरक्षण नहीं दिया गया। महिला के अनुसार, उसके गलत निलंबन और बर्खास्तगी तथा उसे और उसके परिवार को हुई जिल्लत और जलालत पर भी सुप्रीम कोर्ट ने गौर नहीं किया। महिला ने आशंका व्यक्त की है कि उसे और उसके परिवार को फिर निशाना बनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि उक्त महिला अधिकारी ने गत 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को भेजे गए अपने पत्र में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। न्यायमूर्ति एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय आतंरिक समिति ने उक्त महिला की शिकायत को खारिज कर दिया। समिति ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
इस बीच उक्त महिला का समर्थन करने वाली अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने आतंरिक समिति के फैसले को एक ‘घोटाले’ की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि न्याय का तकाजा है कि कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। अधिवक्ता के अनुसार समिति ने सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले का जिक्र किया है वह सूचना का अधिकार कानून बनने के पहले का है। कानून बनने के बाद परिस्थितियां अलग हैं।

 


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