गाजीपुर में जीत दर्ज किये बिना सत्ता में नहीं आती है भाजपा

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1973 में पंडित दीनदयाल की कही बात लगातार सच हो रही साबित

लखनऊ, 02 मई (हि.स.)। सियासत में कई बार नेताओं के मुंह से ऐसी बातें निकल जाती हैं या फिर अपने राजनीतिक अनुभव के कारण वह कुछ ऐसा बोल देते हैं, जो वर्षों बाद भी वक्त की कसौटी पर खरा उतरती है। देश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सियासत से जुड़ी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की गाजीपुर से जुड़ी एक ऐसी ही बात सच साबित होते नजर आयी है।
एक बार पंडित दीनदयाल उपाध्याय गाजीपुर में रात्रि विश्राम पर थे। उस समय जनसंघ के कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने एक बैठक में कहा था, ‘ जब यहां से जनसंघ का कोई सांसद बन जाएगा तो निश्चय ही केंद्र में हमारी सरकार बनेगी और यदि कोई विधायक चुना गया तो राज्य में हमारी सरकार का गठन होगा।’ ये बातें तो उन्होंने गाजीपुर में कम्युनिस्ट का गढ़ होने के कारण कही थी, लेकिन दशकों बाद आज तक एक अपवाद 2002 में कृष्णानंद राय की जीत को छोड़कर यह सत्य हो रहा है। इसमें भी जीत के बावजूद कृष्णानंद की हत्या हो गयी थी, जिसे भाजपा कार्यकर्ता अपशुकुन के रूप में देखते हैं। अब तो यह चर्चा चलने लगी है कि सरकार बनाने के लिए भाजपा को गाजीपुर की सीट को जीतना जरूरी है।
यदि पिछले रिकार्ड पर नजर डालें तो गाजीपुर से अब तक भाजपा तीन बार लोकसभा सीट पर विजयी रही है। भाजपा उम्मीदवार के रूप में मनोज सिन्हा ने 1996, 1999 और 2014 में इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। दिलचस्प बात है कि इसी दौरान केन्द्र में भाजपा की सरकार भी बनी। 1996 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने गाजीपुर के रौजा पर जब जनसभा को संबोधित किया था, तब भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के वक्तव्य को उद्धृत करते हुए सरकार बनाने के लिए गाजीपुर के उम्मीदवार को जरूर विजयी बनाने की अपील की थी।
विधानसभा चुनाव को देखें तो 1991 में पहली बार गाजीपुर में भाजपा ने तीन सीटें गाजीपुर सदर, जमानिया और सैदपुर जीती। उस बार पहली बार प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार बनी थी। उसके बाद विवादित ढांचा गिराये जाने के मुद्दे पर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था। जब 1993 में चुनाव हुआ तो गाजीपुर की सभी सीटें सपा, बसपा और सीपीआईएम के खाते में चलीं गयी। तब सपा-बसपा गठबंधन की सरकार बनी थी। 1996 में जब चुनाव हुआ तो गाजीपुर की सैदपुर और जहूराबाद की सीट भाजपा के कब्जे में आयी तो भाजपा की सरकार बनी।
2002 का चुनाव अपवाद रहा, जिसमें एक विधानसभा मुहम्मदाबाद से कृष्णा नंद राय जीते थे लेकिन उसे भाजपा कार्यकर्ता अपशकुन के रूप में देखते हैं, क्योंकि उस समय सपा की सरकार बनी थी और कृष्णा नंद के साथ ही चौबीस से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की डेढ़ साल के भीतर हत्या हो गयी थी। इसके बाद जब 2007 में चुनाव हुआ तो एक भी भाजपा उम्मीदवार गाजीपुर की किसी विधानसभा से चुनाव नहीं जीत पाया। तब बसपा की सरकार बनी। इसी तरह 2012 में भी एक भी सीट यहां से भाजपा के कब्जे में नहीं आयी थी। 2017 के चुनाव में गाजीपुर की पांच विधानसभाओं में तीन पर भाजपा काबिज हुई तो पुन: राज्य में पार्टी की सरकार बन गयी।
पंडित दीनदयाल की बातों को याद करें तो गाजीपुर में जनसंघ को खड़ा करने वाले पंडित कमलाकांत चौबे थे। उन्होंने 1973 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय कमलाकांत चौबे कम्युनिस्ट नेता मेलंगी राम से 200 वोट से चुनाव हार गये थे। चुनाव बाद समीक्षा के लिए पं. कमलाकांत चौबे के यहां आकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय रुके हुए थे। उस समय जनसंघ के पूर्वांचल के नेता विशारद जी, विजय शंकर राय आदि चुनावी चर्चा कर रहे थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पहले कहा था कि मेलंगी का चुनाव जीतने का कारण हमारी समझ से उनकी पत्नी का भी चुनाव प्रचार में उतरना रहा। इस कारण इसमें कमलाकांत को भी चुनाव प्रचार में अपनी पत्नी को उतारना चाहिए था।
इस पर कमलाकांत ने कहा था कि चुनाव चाहे हारें या जीतें लेकिन अपनी मर्यादाओं का उल्लघंन नहीं कर सकते। इस संबंध में स्वर्गीय कमलाकांत चौबे के पुत्र चतुर्भुज चौबे ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि बैठक के बाद सभी लोग गंगा स्नान करने गये थे। उसी समय पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने कहा था कि पंडित जी हमारे लिए इस भारत में सबसे कठिन लोकसभा सीट गाजीपुर है। जिस दिन हम गाजीपुर की लोकसभा जीत जाएंगे, उस दिन हमारी केंद्र में सरकार बन जाएगी और जिस दिन यहां विधानसभा में हमारे उम्मीदवार विजयी होंगे, उस दिन हम विधानसभा में सरकार बना लेंगे।
यह बात उन्होंने कम्युनिस्ट का गढ़ होने के कारण कही थी, लेकिन आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय की बात अक्षरश: सत्य हो रही है। संभवत: इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनावी जनसभाओं में इस बात का जिक्र भी करना नहीं भूलते हैं। लोकसभा चुनाव के इस महासमर में भी गाजीपुर के भाजपा कार्यकर्ता मतगणना के दिन का इंतजार कर रहे हैं। उनको यकीन है कि गाजीपुर की जीत के साथ भाजपा एक बार फिर केन्द में सरकार बनाने में सफल होगी। 


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