गणतंत्र दिवस पर 21 बच्चे वीरता पुरस्कार से किये जाएंगे सम्मानित
नई दिल्ली, 18 जनवरी (हि.स.)। अपनी जान जोखिम में डालकर अभूतपूर्व साहस और वीरता का प्रदर्शन कर दूसरों के प्राणों की रक्षा करने वाले 21 साहसी बच्चों को इस वर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2018 के लिए चुना गया है। देश के 12 राज्यों से चयनित इन बच्चों में आठ लड़कियां और 13 लड़के शामिल हैं। इनमें से दिल्ली की नितिशा को मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा।
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हर साल भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) के तत्वावधान में दिए जाते हैं, जो आवेदनों की जांच करते हैं और राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेताओं का चयन करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी को सभी बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान करेंगे। बहादुर बच्चे 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस की झांकी में भी शामिल होंगे।
आईसीसीडब्ल्यू ने शुक्रवार को यहां बाल भवन में इन जाबांज बच्चों को मीडिया से मुखातिब करवाते हुए उनके साहसिक कारनामों की जानकारी भी दी। यह पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाते हैं भारत पुरस्कार, (1987 से), गीता चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से), संजय चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से), बापू गैधानी पुरस्कार, (1988 से), सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (1957 से)।
भारत पुरस्कार :
इस वर्ष जम्मू के दो बहादुर बच्चों (नौ वर्षीय गुरूगु हिमाप्रिया और 14 साल के सौम्यादीप जना) को उनके अलग-अलग साहसिक कार्यों के लिए प्रतिष्ठित भारत अवार्ड के लिए चुना गया है। 10 फरवरी 2018 को संजुवान सैन्य शिविर पर हथियारबंद आतंकवादियों के हमले के दौरान इन बच्चों ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए असाधारण शौर्य का परिचय देते हुए कई लोगों के प्राणों की रक्षा की थी।
गीता चोपड़ा पुरस्कार :
प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार दिल्ली की 15 साल नौ माह की नितिशा नेगी को मरणोपरान्त दिया जाएगा। नितिशा अंडर-17 फुटबॉल टीम की खिलाड़ी थी। वह पेसिफिक स्कूल गेम्स में हिस्सा लेने ऑस्टेलिया गई हुई थी। 10 दिसम्बर, 2017 को एडिलेड बीच पर अचानक आई समुद्री लहर में डूबती अपनी सहेली को बचाने के प्रयास में होनहार खिलाड़ी ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया।
संजय चोपड़ा पुरस्कार :
संजय चोपड़ा अवार्ड गुजरात के साढ़े छह वर्षीय गोहिल जयराजसिंह को तेंदुए के हमले से अपने मित्र की वीरतापूर्वक जान बचाने के लिए दिया जाएगा।
बापू गैधानी पुरस्कार :
राजस्थान की नौ वर्षीय अनिका जैमिनी, मेघालय की 13 वर्षीय कैमिलिया केथी खरबानार और ओडिशा के 15 वर्षीय सीतू मलिक को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जाएगा। अनिका जैमिनी ने निर्भीकता पूर्वक बदमाश का सामना किया और अपने अदम्य साहस से स्वयं को अगवा होने से बचाया। कैमिलिया केथी ने अप्रतिम साहस से अपनी जान को खते में डालकर मानसिक रूप से विक्षिप्त बड़े भाई को जलते हुए घर से बचाया। सीतू मलिक ने अपने अंकल को मगरमच्छ के हमले से बचाकर उत्कृष्ट वीरता एवं निर्भीकता का परिचय दिया।
सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार :
इसके अलावा सामान्य वीरता पुरस्कार के लिए दिल्ली के मंदीप कुमार पाठक (13), ओडिशा की झीली बाग (8), बिस्वजीत पुहान (10) और रंजीता माझी (12), कर्नाटक के सीडी कृष्णा नायक (15), हिमाचल प्रदेश की मुस्कान (17) और सीमा (14), छत्तीसगढ़ के श्रीकांत गंजीर (10), रितिका साहू (13) और झगेन्द्र साहू (11), उत्तर प्रदेश के कुंवर दिव्यांश सिंह (13), मणिपुर के वाहेंगबम लमगांबा सिंह (13), केरल के शिगिल के (13) और अश्विन सजीव (10) को चुना गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी को सभी बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान करेंगे। 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस की झांकी में शामिल होंगे और अपने बहादुर कारनामों से देश का नाम रोशन करेंगे। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरू किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि 2 अक्टूबर, 1957 में 14 साल की उम्र के बालक हरीश मेहरा ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पंडित जवाहरलाल नेहरू और तमाम दूसरे गणमान्य नागरिकों को एक बड़े हादसे से बचाया था। उस दिन पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम आदि रामलीला मैदान में चल रही रामलीला देख रहे थे कि अचानक उस शामियाने के ऊपर आग की लपटें फैलने लगीं, जहां ये हस्तिय़ां बैठी थीं। हरीश वहां पर वॉलंटियर की ड्यूटी निभा रहे थे। वे फौरन 20 फीट ऊंचे खंभे के सहारे वहां चढ़े तथा अपने स्काउट के चाकू से उस बिजली की तार को काट डाला, जिधर से आग फैल रही थी। यह कार्य करने में हरीश के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे।
एक बालक के इस साहस से नेहरू अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर ऐसे बहादुर बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया। सबसे पहला पुरस्कार हरीश चंद्र मेहरा को प्रदान किया गया था।
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हर साल भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) के तत्वावधान में दिए जाते हैं, जो आवेदनों की जांच करते हैं और राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेताओं का चयन करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी को सभी बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान करेंगे। बहादुर बच्चे 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस की झांकी में भी शामिल होंगे।
आईसीसीडब्ल्यू ने शुक्रवार को यहां बाल भवन में इन जाबांज बच्चों को मीडिया से मुखातिब करवाते हुए उनके साहसिक कारनामों की जानकारी भी दी। यह पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाते हैं भारत पुरस्कार, (1987 से), गीता चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से), संजय चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से), बापू गैधानी पुरस्कार, (1988 से), सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (1957 से)।
भारत पुरस्कार :
इस वर्ष जम्मू के दो बहादुर बच्चों (नौ वर्षीय गुरूगु हिमाप्रिया और 14 साल के सौम्यादीप जना) को उनके अलग-अलग साहसिक कार्यों के लिए प्रतिष्ठित भारत अवार्ड के लिए चुना गया है। 10 फरवरी 2018 को संजुवान सैन्य शिविर पर हथियारबंद आतंकवादियों के हमले के दौरान इन बच्चों ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए असाधारण शौर्य का परिचय देते हुए कई लोगों के प्राणों की रक्षा की थी।
गीता चोपड़ा पुरस्कार :
प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार दिल्ली की 15 साल नौ माह की नितिशा नेगी को मरणोपरान्त दिया जाएगा। नितिशा अंडर-17 फुटबॉल टीम की खिलाड़ी थी। वह पेसिफिक स्कूल गेम्स में हिस्सा लेने ऑस्टेलिया गई हुई थी। 10 दिसम्बर, 2017 को एडिलेड बीच पर अचानक आई समुद्री लहर में डूबती अपनी सहेली को बचाने के प्रयास में होनहार खिलाड़ी ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया।
संजय चोपड़ा पुरस्कार :
संजय चोपड़ा अवार्ड गुजरात के साढ़े छह वर्षीय गोहिल जयराजसिंह को तेंदुए के हमले से अपने मित्र की वीरतापूर्वक जान बचाने के लिए दिया जाएगा।
बापू गैधानी पुरस्कार :
राजस्थान की नौ वर्षीय अनिका जैमिनी, मेघालय की 13 वर्षीय कैमिलिया केथी खरबानार और ओडिशा के 15 वर्षीय सीतू मलिक को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जाएगा। अनिका जैमिनी ने निर्भीकता पूर्वक बदमाश का सामना किया और अपने अदम्य साहस से स्वयं को अगवा होने से बचाया। कैमिलिया केथी ने अप्रतिम साहस से अपनी जान को खते में डालकर मानसिक रूप से विक्षिप्त बड़े भाई को जलते हुए घर से बचाया। सीतू मलिक ने अपने अंकल को मगरमच्छ के हमले से बचाकर उत्कृष्ट वीरता एवं निर्भीकता का परिचय दिया।
सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार :
इसके अलावा सामान्य वीरता पुरस्कार के लिए दिल्ली के मंदीप कुमार पाठक (13), ओडिशा की झीली बाग (8), बिस्वजीत पुहान (10) और रंजीता माझी (12), कर्नाटक के सीडी कृष्णा नायक (15), हिमाचल प्रदेश की मुस्कान (17) और सीमा (14), छत्तीसगढ़ के श्रीकांत गंजीर (10), रितिका साहू (13) और झगेन्द्र साहू (11), उत्तर प्रदेश के कुंवर दिव्यांश सिंह (13), मणिपुर के वाहेंगबम लमगांबा सिंह (13), केरल के शिगिल के (13) और अश्विन सजीव (10) को चुना गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी को सभी बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान करेंगे। 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस की झांकी में शामिल होंगे और अपने बहादुर कारनामों से देश का नाम रोशन करेंगे। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरू किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि 2 अक्टूबर, 1957 में 14 साल की उम्र के बालक हरीश मेहरा ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पंडित जवाहरलाल नेहरू और तमाम दूसरे गणमान्य नागरिकों को एक बड़े हादसे से बचाया था। उस दिन पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम आदि रामलीला मैदान में चल रही रामलीला देख रहे थे कि अचानक उस शामियाने के ऊपर आग की लपटें फैलने लगीं, जहां ये हस्तिय़ां बैठी थीं। हरीश वहां पर वॉलंटियर की ड्यूटी निभा रहे थे। वे फौरन 20 फीट ऊंचे खंभे के सहारे वहां चढ़े तथा अपने स्काउट के चाकू से उस बिजली की तार को काट डाला, जिधर से आग फैल रही थी। यह कार्य करने में हरीश के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे।
एक बालक के इस साहस से नेहरू अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर ऐसे बहादुर बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया। सबसे पहला पुरस्कार हरीश चंद्र मेहरा को प्रदान किया गया था।