क्या पीडीपी टूटेगी, भाजपा के साथ सरकार बनायेगी?

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नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी में बगावत की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक पीडीपी के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर बेग की महबूबा से पटती नहीं है। मुजफ्फर बेग अमेरिका में कपिल सिब्बल के साथ वकालत पढ़े हैं, सर्वोच्च न्यायालय के वकील हैं और महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के मित्र रहे हैं। मुफ्ती मोहम्मद सईद जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे तो उनके मंत्रिमंडल में मुजफ्फर बेग कानून मंत्री थे।

सूत्रों का कहना है कि उन दिनों मुफ्ती मोहम्मद सईद के यहां पहुंचने वाली लगभग हर फाइल को उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती देखती थीं। जिस पर तत्कालीन कानून मंत्री मुजफ्फर बेग ने ऐतराज जताते हुए कहा था कि किस हैसियत से महबूबा आपकी हर फाइल देखती हैं। ऐसे में महबूबा मुफ्ती से नाराज मुजफ्फर बेग व अन्य विधायकों को पटाने की कथित कोशिश भाजपा द्वारा की जा रही है ताकि वह महबूबा की पार्टी पीडीपी के 28 विधायकों में से दो तिहाई यानि 20 विधायकों को तोड़कर अलग पार्टी बना लें। 25 विधायकों वाली भाजपा के साथ मिलकर 87 विधायकों की संख्या वाली विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या 44 पूराकर सरकार बना लें। पीडीपी से टूटकर यदि 20 विधायक अलग होते हैं तो वे और भाजपा के 25 विधायक मिलकर 45 हो जाएंगे, जो बहुमत से एक अधिक होगा। सात निर्दलीय विधायकों में से भी कुछ आने को तैयार हैं।

ऐसा होने पर कांग्रेस के 12 और एनसी के 15 विधायकों में से किसी को तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैसे तो उनमें से भी टूटने के लिए तैयार हैं। मालूम हो कि किसी भी पार्टी के दो तिहाई विधायक यदि अलग होकर नई पार्टी बनाते हैं, तो उन पर दल-बदल का नियम लागू नहीं होता है। वैसे तो केन्द्र व राज्य में जिस पार्टी की सरकार होती है, विधानसभा अध्यक्ष उस पार्टी का होता है, राज्यपाल उस पार्टी की केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त होता है, तो कम संख्या में टूटे विधायकों के सहयोग से भी सरकार बनवा दी जाती है। पार्टी के दो-तिहाई से कम संख्या में टूटकर अलग हो सरकार में शामिल होने या सहयोग करने वाले विधायकों के विरुद्ध पार्टी द्वारा केस करने पर, पहले तो विधानसभा अध्यक्ष के यहां ही कई वर्षों तक, कई बार तो सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक सुनवाई चलती रहती है और दलबदलू विधायकों का बाल बांका नहीं होता है। ताजा उदाहरण झारखंड में दल बदल कर सत्ताधारी दल का समर्थन कर, उसमें जाकर बहुमत बनवा देने वाले विधायक हैं। इस तरह जम्मू-कश्मीर में भी हो सकता है।

पीडीपी के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेस और कांग्रेस के विधायकों को भी तोड़ा जा सकता है। वैसे तो पीडीपी के दो-तिहाई विधायक टूट गये तो इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। सूत्रों का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी इसकी भनक मिल गई है। इसीलिए ओमर अब्दुल्ला ने भाजपा पर राज्य विधानसभा भंग नहीं करके, विपक्षी विधायकों पर डोरे डालने, खरीद-फरोख्त करके सरकार बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। जिस पर जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी राम माधव ने एनसी द्वारा राज्य में पहले ऐसा किए जाने की बात कही है।


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