कागज पर जल मीनार बनाकर डकार लिये 6.23 करोड़, अब डीएम करा रहे जांच
छपरा, 27 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना के कार्यान्वयन में अजीब वो गरीब कारनामे का खुलासा हुआ है। कागज पर ही चार स्थानों पर जल मीनार का निर्माण कर दिया गया है| मजे की बात यह है कि वहां पेयजल की आपूर्ति भी कागजों में ही की जा रही है और लोग उसका ‘लाभ’ उठा रहे हैं| इस घोटाले का खुलासा आरटीआई से प्राप्त जानकारी से हुई है। पता चलने पर जिलाधिकारी ने इसकी प्रशासनिक जांच कराने की बात कही है|
सारण जिले में जल मीनार के निर्माण व पेयजल आपूर्ति की सूचना आरटीआई में जो मिली है, वह काफी चौंकाने वाली है । चार प्रखंडों में कागज पर ही करोड़ों की लागत से जल मीनार का निर्माण कर दिया गया है। ग्रामीणों के बीच पेयजल पूर्ति भी दिखाया गया है। इस मद में प्राप्त करीब 6.23 करोड़ रुपये का गोलमाल कर लिया गया है। घोटाले में संवेदक और पीएचईडी के अधिकारी भी शामिल है। आरटीआई में मिली सूचना के अनुसार अलग-अलग वर्षों में जल मीनार का निर्माण किये जाने की बात कही गयी है लेकिन धरातल जल मीनार है ही नहीं। इसकी रिपोर्ट पेयजल स्वच्छता मंत्रालय की साइट
पर भी उपलब्ध है। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि मकेर, मढ़ौरा, सोनपुर व दिघवारा प्रखंड में जल मीनार का निर्माण किया गया है और पेयजल की आपूर्ति भी की जा रही है। चारों स्थान पर करीब 6.23 करोड़ की लागत आने की जानकारी दी गयी है ।
सोनपुर प्रखंड के कसमर पंचायत एवं शाहपुर दियारा, दिघवारा प्रखंड के झौवा पंचायत तथा मकेर प्रखंड के कस्बा मकेर पंचायत में कागजों पर ही पानी की टंकी बना दी गई है। गजब यह कि इस पर करीब 26 हजार 314 से अधिक आबादी को जलापूर्ति किये जाने की सूचना दी गई है। जल मीनार का निर्माण लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ( पीएचईडी) ने कराया है। वर्ष 2006 से 2014 के बीच यह खेल हुआ है। विभाग के कार्यपालक अभियंता उस समय के अधिकारियों पर टोपी पहना कर निकल जाना चाहते हैं।
सोनपुर प्रखंड के कसमर एवं शाहपुर दियारा में कागजों पर ही करीब 3.97 करोड़ की लागत से जल मीनार का
निर्माण कर जलापूर्ति किया जा रहा है। कसमर पंचायत के नोनिया टोला, कसमर, अनुसूचित जाति बस्ती, बढ़ई
टोला, कोइरी टोला सहित सात गांव तथा शाहपुर दियारा के तीन गांवों में जलापूर्ति दिखाया गया है। जिले के मकेर प्रखंड के कस्बा मकेर पंचायत में करीब 1.10 करोड़ की लागत से जल मीनार बनाकर गांव के करीब तीन हजार 731 आबादी को स्वच्छ जलापूर्ति की जा रही है। रिपोर्ट की मानें तो, कस्बा मकेर गांव वार्ड संख्या 13 के निवासी शिवपूजन महतो के घर के आस-पास ही पानी टंकी का निर्माण किया गया है। जबकि न सिर्फ महतो बल्कि गांव वालों को इसका पता भी नहीं है| कसमर पंचायत के नोनिया टोला, कसमर, अनुसूचित जाति बस्ती, बढ़ई टोला, कोयरी टोला सहित सात गांव तथा शाहपुर दियारा के तीन गांवों में जलापूर्ति किया गया है। मढ़ौरा प्रखंड भुआलपुर में कमोबेश यही स्थिति है। यहां
पर करीब 1.87 करोड़ की लागत से पानी टंकी बनाकर जलापूर्ति का प्राक्कलन बनाया गया था। लेकिन करीब एक करोड़ की लागत से कागजों पर जल मीनार बनाकर करीब 16 हजार आबादी को नल से पानी की आपूर्ति की जा रही है। भुआलपुर में 20 हजार आबादी है। यहां पर एक पानी टंकी बना है जिससे बमुश्किल पांच हजार आबादी को जलापूर्ति होती है। दूसरा जल मीनार कागज पर बनाया गया है। उस इलाके के करीब छह हजार से अधिक लोग प्रभावित हैं। आरटीआई रिपोर्ट की मानें तो, कसमर पंचायत में 1.53 करोड़ व शाहपुर दियारा पंचायत में 2.44 करोड़ खर्च कर पानी टंकी निर्माण किया गया है। दिघवारा प्रखंड के झौवा पंचायत में करीब 16 लाख की लागत से कागज पर ही जल मीनार बनाया गया है। उस गांव के करीब एक हजार 636 आबादी का जलापूर्ति की जा रही है। मकेर कस्बा की आबादी करीब पांच हजार है। यहां कहीं भी जल मीनार का नामोनिशान तक नहीं है। ऐसे में लोग कुआं व निजी चापाकल से जरूरत पूरा करते हैं। झौवां गांव की आबादी ढाई हजार है। यहां जलापूर्ति के लिए कहीं जल मीनार का क्या कहना,नींव भी नहीं रखी गई है। लोग चापाकल से पानी भरते हैं। यहां के रहने वाले शंकर शरण श्रीवास्तव बताते हैं कि जल मीनार कागज पर बना राशि गबन कर ली गई है।
सोनपुर के कसमर पंचायत में छह गांव है। आबादी करीब छह हजार है। यहां पर किसी भी गांव में न तो, जल मीनार है न ही कोई नल लगा है। शाहपुर दियारा के तीन गांवों में न तो जल मीनार है और न ही ट्बयूेल लगे हैं। लोगों को चापाकल व कुआं पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इस मामले में पूछने पर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि जिले में नल जल योजना व जलमीनार के निर्माण में अनियमितता की शिकायत मिली है| इसकी जांच कराने का आदेश दिया गया है । संबंधित विभाग से भी रिपोर्ट तलब की गई है| रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।