कांग्रेस के दक्षिण जिलाध्यक्ष ने छोड़ी पार्टी, शीर्ष नेतृत्व पर भ्रमित होने का लगाया आरोप

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– गोविन्द नगर सीट से की थी दावेदारी, टिकट कटने से थे नाराज
कानपुर, 07 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में हो रहे विधान सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की मुश्किलें बराबर बढ़ रही हैं। आरपीएन सिंह जैसे बड़े दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ी तो कानपुर में टिकट वितरण को लेकर जमकर नाराजगी है। पूर्व महानगर अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री खुलकर पार्टी के निर्णय पर बोल रहे हैं तो वहीं सोमवार को दक्षिण जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र दीक्षित ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शीर्ष नेतृत्व पर भ्रमित होने का आरोप लगाया और टिकट वितरण में पुराने कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दी जा रही है।
यूपी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के बाद शहर में कांग्रेसियों की नाराजगी थम नहीं रही है। अभी पूर्व महानगर अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री और उनकी टीम का गुस्सा शांत नहीं हुआ था कि अब दक्षिण जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र दीक्षित ने पद से इस्तीफा देकर अपनी मंशा जता दी है। उनके साथ कार्यकारिणी के लोग भी शामिल हो गए हैं। यह तब है जब बीते दिनों डैमेज कंट्रोल करने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव शिव पांडेय ने शहर आकर पदाधिकारियों से बात की थी और समझाया था। डॉ. शैलेन्द्र दीक्षित के इस्तीफे से कानपुर कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। शैलेंद्र दीक्षित गोविंद नगर सीट से टिकट मांग रहे थे। लेकिन उनकी जगह पर पार्टी नेतृत्व ने करिश्मा ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। इसे ही इस्तीफे के पीछे बड़ा कारण माना जा रहा है।
पुराने पदाधिकारियों को नहीं दी जा रही तरजीह
कांग्रेस दक्षिण जिलाध्यक्ष डा. शैलेन्द्र दीक्षित ने सोमवार को छपेड़ा पुलिया काकादेव स्थित अपने गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में अपने पद से इस्तीफा देने को घोषणा की। उन्होंने बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने टिकट बंटवारे को लेकर सही निर्णय नहीं किए। जिसे लेकर कई दिनों से नाराजगी थी। शीर्ष नेतृत्व को भी इससे अवगत करा दिया था लेकिन पार्टी ने इस ओर ध्यान नही दिया। ऐसे में अपनी नाराजगी जताने के यही तरीका समझ आया तो अपने पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अपने इस निर्णय से शीर्ष नेतृत्व को भी आप अवगत करा दिया है।
10 हजार वोटों से हुई थी हार
डा. शैलेन्द्र दीक्षित गोविन्द नगर सीट से विधान सभा चुनाव लड़ना चाहते थे। इस सीट पर उन्होंने 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर भाजपा के सत्यदेव पचौरी जीते थे और 10 हजार वोटों से शैलेन्द्र दीक्षित को हराया था। इसके बाद 2017 में पार्टी ने शैलेन्द्र का टिकट काट दिया तो उन्होंने नाराजगी भी जताई थी। दीक्षित का कहना है कि पार्टी महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने आश्वस्त किया था कि इस बार टिकट दी जाएगी। लेकिन फिर धोखा हुआ और उनकी जगह पर करिश्मा ठाकुर को उम्मीदवार बना दिया।


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