एनआरसी मामले में समन्वयक और रजिस्ट्रार जनरल को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, मीडिया से बात करने पर रोक
नई दिल्ली, 07 अगस्त (हि.स.)। असम के एनआरसी के मसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने असम के एनआरसी समन्वयक प्रतीक हाजेला और भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश को मीडिया से बात करने पर कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन ने दोनों को मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक बार कहा कि ये कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है और उन्हें जेल भेजा जाए । दोनों ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में एनआरसी की पूरी प्रक्रिया और दस्तावेजों के बारे में विस्तार से बताया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को चेतावनी देते हुए कहा कि आप एनआरसी को पूरा करने के काम में लगें, मीडिया से सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना बात नहीं करें। कोर्ट ने कहा कि हाजेला और शैलेश कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी हैं और मीडिया में दिया गया उनका विस्तृत इंटरव्यू चौंकाने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दावे और आपत्तियों पर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तय करने का जिम्मा केंद्र को दिया गया था, जो अभी कोर्ट में दाखिल भी नहीं हुआ है। ऐसे मे कोर्ट द्वारा नियुक्त ये अधिकारी कैसे बता सकते हैं। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों के भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने की नसीहत दी और कहा कि वे अपना समय एनआरसी को तैयार करने और प्रकाशन करने में लगाएं। कोर्ट इस मामले पर 16 अगस्त को सुनवाई करेगा।
एनआरसी में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से अंतिम मसौदे में शामिल किए जाने के लिए 2,89,83,677 लोगों को योग्य पाया गया है। इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है। एनआरसी असम का निवासी होने का प्रमाण पत्र होगा। 1951 के बाद से देश में पहली बार अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए इस तरह की कोई लिस्ट जारी की गई है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट के जारी होने के बाद बांग्लादेश से हो रहे अवैध प्रवास को रोकने में मदद मिलेगी। इस लिस्ट में 25 मार्च, 1971 से पहले से रह रहे लोगों को ही असम का नागरिक माना गया है।