एचईसी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा : सुबोधकांत सहाय

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हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचईसी) के अस्तित्व को बचाने के प्रति एक ओर केंद्र सरकार उदासीन है। वहीं दूसरी तरफ यहां के भाजपा के सांसद, राज्यसभा सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी बेपरवाह हैं। उक्त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने गुरुवार को एचईसी मुख्यालय के समक्ष एचईसी बचाओ मजदूर जन संघर्ष समिति के प्रदर्शन के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि एचईसी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन इसे बचाने के लिए भाजपा के एक भी सांसद- विधायक ने आवाज नहीं उठाई। कामगारों का पिछले छह माह से वेतन बकाया है। इस दिशा में भाजपा के सांसदों-विधायकों ने कभी प्रयास नहीं किया कि कर्मियों के घरों का चूल्हा जले। केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण एचईसी बंदी के कगार पर पहुंच गया है। एचईसी के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को देखते हुए न केवल यहां के श्रमिक संगठन, बल्कि विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन भी एकजुट हुए हैं। एचईसी का श्रमिक आंदोलन अब व्यापक राजनीतिक-सामाजिक जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो चुका है।

उन्होंने कहा कि एचईसी को वित्तीय सहायता दिलाने के लिए राज्य सरकार से भी अनुरोध किया जाएगा। एचईसी को बचाने के लिए यहां के सांसद, विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को भी जगाना होगा। गूंगे-बहरे जनप्रतिनिधियों को झकझोर कर उनकी निंद्रा भंग करनी होगी। एचईसी प्रबंधन की ओर से कई बार कारखाना के आधुनिकीकरण और जीर्णोद्धार के लिए राशि की मांग की गई। लेकिन हर बार केंद्र सरकार ने प्रबंधन के प्रस्ताव को दरकिनार कर ठंडे बस्ते में डाल दिया। एक-एक कर सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र के बड़े-बड़े पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों को बेचने की साजिश रची जा रही है। एचईसी की बदहाली की मुख्य वजह भी यही है। केंद्र सरकार इसे भी बेचना चाहती है। केंद्र सरकार की इस श्रमिक विरोधी मंशा को कभी सफलीभूत नहीं होने देंगे। इसके लिए चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की गई। इसके तहत जनवरी माह में राजभवन मार्च और सार्वजनिक उपकरण बचाओ संकल्प दिवस का आयोजन किया जाएगा। हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह ने कहा कि एचईसी को बचाने के लिए राज्य सरकार से भी मदद लिए जाने की आवश्यकता है।


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