उप्र में तीसरे चरण से जुड़ी तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा
लखनऊ, 22 अप्रैल (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 संसदीय सीटों पर मंगलवार को मतदान होना है। इसमें उत्तर प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी सीट पर चुनाव इसी चरण में है। वहीं सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा इसलिए जुड़ी है। पार्टी ने 2014 में इसी चरण में सर्वाधिक सीटें जीती थीं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह भी एटा से उम्मीदवार हैं, जिसका इसी चरण में चुनाव होना है।
एटा से जुड़ी कल्याण सिंह की प्रतिष्ठा
राजस्थान के राज्यपाल व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी एटा सांसद रहे हैं। यहां पर उनके पुत्र के साथ खुद उनकी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। वैसे कल्याण सिंह सर्वमान्य नेता हैं लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन के बाद उनके बेटे राजवीर के लिए राह आसान नहीं है। एटा में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के राजवीर सिंह उर्फ राजू भईया और समाजवादी पार्टी के देवेंद्र सिंह यादव के बीच है। कांग्रेस ने यह सीट राष्ट्रीय जन अधिकार पार्टी (आरजेएपी) के लिए छोड़ी है और आरजेएपी ने सूरज सिंह को मैदान में उतारा है।
वर्ष 2014 के चुनाव में राजवीर सिंह ने दोगुने अंतर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को मात दी थी। जातीय समीकरण के अनुसार एटा का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। एटा क्षेत्र में लोध, यादव और शाक्य जातीय बहुल है। कल्याण सिंह जैसे बड़े राजनेता का बेटा होने के कारण उन्हें राजनीति विरासत में मिली। 2014 में वह पहली बार राजनीति में आए और एटा से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता।
मैनपुरी से जुड़ी मुलायम की प्रतिष्ठा
मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव का भाजपा उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य से सीधा मुकाबला है। इस सीट पर मुलायम के सामने पिछली बार से अधिक वोट पाने की चुनौती है। मुलायम के खिलाफ कांग्रेस व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारा है।
सपा का सर्वाधिक प्रभाव तीसरे चरण में
समाजवादी पार्टी पिछली बार मोदी लहर में भी इस चरण में तीन सीट जीतने में कामयाब हुई थी। इस बार सपा के सामने इन सीटों को जहां बचाने की चुनौती है, वहीं अधिक से अधिक सीटें जीतना भी पार्टी इस चरण में चाहती है। शिवपाल यादव की लोकसभा फिरोजाबाद में भी इसी चरण में चुनाव है। सपा के सामने शिवपाल यादव की सीट से पार्टी उम्मीदवार अक्षय यादव को जिताने की चुनौती है। यदि फिरोजाबाद से सपा का उम्मीदवार हार गया तो इसको सीधे अखिलेश यादव से जोड़ा जायेगा, क्योंकि अखिलेश व शिवपाल में ही अनबन होने के कारण चाचा भतीजे को अलग होना पड़ा था।