इसलिए व्यग्र, बेचैन, व्याकुल और अधीर हैं प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, 15 अगस्त (हि.स.)। लालकिले से अपने पांचवें संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग मेरे बारे में अलग तरह से सोचते और बोलते हैं। उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि हां, मैं बेसब्र हूं| मैं इसलिए बेसब्र हूं कि कुछ देश मेरे देश से आगे हैं। मैं अपने देश को उन सभी देशों से आगे ले जाने के लिए बेसब्र हूं।
पर मैं बेचैन हूं, क्योंकि मेरे देश के बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार हैं। मैं इस कुपोषण को खत्म करके हर बच्चे तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने के लिए बेचैन हूं।
इसके साथ ही मैं व्याकुल भी हूं| व्याकुल इसलिए हूं ताकि प्रत्येक देशवासी को उत्तम स्वास्थय मिल सके।
मैं व्यग्र भी हूं| इसलिए व्यग्र हूं कि देशवासियों को क्वालिटी ऑफ लाइफ मिल सके। उनका जीवन बेहतर बन सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अधीर भी हूं| मैं इस बात के लिए अधीर हूं कि विश्व चौथी औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। यह क्रांति ज्ञान के क्षेत्र से होगी। सूचना प्रौद्योगिकी के रास्ते से होगी। मैं अधीर हूं कि इस नई औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व मेरा देश भारत ही करे।
इस सबके लिए मैं हमेशा आतुर रहता हूं। मैं आतुर रहता हूं कि मेरा देश और देशवासी अपनी क्षमताओं और संसाधनों का भरपूर प्रयोग कर देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर एकजुट हों।