आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की बढ़ी संभावना : जिला कृषि रक्षा अधिकारी
मौसम में हो रहे बदलाव को लेकर सावधानी बरतें किसान
कानपुर, 30 दिसम्बर (हि.स.)। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से पहाड़ों से बर्फीली हवाएं बराबर मैदानी क्षेत्रों में आ रही हैं। इसके साथ ही पाला की स्थिति में सबसे अधिक आलू की फसल में रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसको लेकर किसान भाई पहले से सावधानी बरतें और बराबर देखभाल कर कीटनाशी का छिड़काव करें। यह बातें गुरुवार को जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कही।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी सलीमुद्दीन ने बताया कि मौसम में अत्यधिक नमी व ठण्ड बढ़ जाने के कारण आलू की फसल में झुलसा रोग के लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है। जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदीनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है उन सभी किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे कॉपरऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू0 पी0 अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू0 पी0युक्त फफूदीनॉशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 2.00 किलोग्राम मात्रा को 750 ली0 पानी में मिलाकर तत्काल छिड़काव करा दें। साथ ही साथ यह भी सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में रोग का प्रकोप हो चुका है उनमें किसी भी फफूंदीनॉशक साइमोक्सेनिल मैकोंजेब का 3.00 किलोग्राम 750 ली0 पानी में मिलाकर प्रति हे0 की दर से अथवा फेनोमिडेन मैकोंजेब का 3.00 किलोग्राम 750-1000 ली0 पानी में मिलाकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें। अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू 02.00 किलोग्राम अथवा कॉपरऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू0 पी0 की 2.5 किलोग्राम प्रति हे0 की दर से 750-1000 ली0 पानी में घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
उन्होंने कहा कि किसान भाइयों से अनुरोध है कि दवा को क्रय करते समय रसायन की अवसान तिथि देख ले एवं कैशमेमो अवश्य प्राप्त करें। खेत में लगे हुए किसी भी रोग/कीट के परिलक्षित होने पर मो0 नं0 9452247111/ 9452257111 पर फोटोग्राफ व्हाट्सअप कर समस्या का निशुःल्क निदान प्राप्त कर सकते है अथवा अपने नजदीकी राजकीय कृषि बीज भण्डार/कृषि रक्षा इकाई में व्यक्तिगत सपंर्क कर सलाह व सुझाव ले सकते है।